पत्रकारिता दिवस रूप में मनायी देवर्षि नारद की जयन्ती
नारद जी लाइव रिपोर्टिंग करते थे वे दानवो, गंधर्व, देव सभी को समान रूप से सूचना देते है। चारों युग में नारद की प्रासंगिकता आज भी है। अगर नारद पुराण का अध्ययन करेंगे, पता चलेगा कि नारद जी में अहंकार तनिक मात्र भी नहीं था। नारद जी के चरित्र से कही बातों को सीखा जा सकता है। लेकिन वर्तमान में नारद जी के जीवन को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है। आज उन्हें गॉसिप गार्ड के रूप में पहचान देने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिलाध्यक्ष शशिराज सिन्हा ने बताया कि देव ऋषि नारद लोक कल्याण के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। उनकी बातों में इतनी सच्चाई होती थी कि तत्काल उनकी बातों को मान लिया जाता था। उनकी बातों की सत्यता का परीक्षण नहीं किया जाता था। लेकिन आज की पत्रकारिता में खेमेबाजी है। पत्रकार समाज को बदल नहीं सकते, लेकिन सत्य पर चलकर बदलाव का प्रयास जरूर कर सकते हैं। कहा कि देवर्षि नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार या पहले संवाददाता हैं। क्योंकि देवर्षि नारद ने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान-प्रदान द्वारा पत्रकारिता का प्रारंभ किया। इस प्रकार देवर्षि नारद पत्रकारिता के प्रथम पुरुष हैं। जो इधर से उधर घूमते हैं, तो संवाद का सेतु ही बनाते हैं। जब सेतु बनाया जाता है तो दो बिंदुओं या दो सिरों को मिलाने का कार्य किया जाता है। देवर्षि नारद भी इधर और उधर के दो बिंदुओं के बीच संवाद का सेतु स्थापित करने के लिए संवाददाता का कार्य करते हैं। इस प्रकार नारद संवाद का सेतु जोड़ने का कार्य करते हैं तोड़ने का नहीं। चर्चा के दौरान आफताब आलम, सौरभ श्रीवास्तव, विभव सिन्हा, शैलेश यादव, विवके मिश्रा आदि पत्रकारगण उपस्थित रहे।