काम के घंटों की लड़ाई से अधिकार के रूप में जन्मा मजदूर दिवस

  जौनपुर। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर मछलीशहर क्षेत्र के कमालपुर में आयोजित गोष्ठी सौहार्द साथी सिकंदर बहादुर मौर्य ने कहा कि काम के घंटों की लड़ाई से अधिकार के रूप में  मजदूर दिवस का जन्म हुआ है। पहले मजदूर वर्ग के लिए काम का समय निर्धारित नहीं था। तमाम संघर्षों और बलिदान के बाद आठ घंटे काम का अधिकार मिला है। 

प्रकाश चंद्र यादव ने कहा कि मजदूर दिवस का दिन श्रमिकों की सामाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को पहचानने और दुनिया भर में श्रमिकों के अधिकारों और उनको सही श्रम मिले इसके लिए मनाया जाता है। 

समाजसेवी राजबहादुर ने कहा कि इसका लक्ष्य है मजदूरों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और कामकाजी परिस्थितियों में सुधार लाना और दुनिया के सामने उनकी तकलीफों को उजागर करना, ताकि उन्हें उनके अधिकार मिल सकें।

कमलेश कन्नौजिया,उर्मिला देवी, जिलाजीत, संतोष, जीतेन्द्र, राजेश, अशोक, मोती लाल, मुन्नालाल, महेन्द्र मौर्य, प्रभावती, मीना देवी, नन्हकू राम, कृपा शंकर, नागेन्द्र, उमापति, सत्यनारायण ने भी विचार व्यक्त किया।

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