4 धाम एवं 14 ज्योतिर्लिंगों का साइकिल से दर्शन कर घर लौटा युवक
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गांव पहुंचते ग्रामीणों ने माला—फूल व जयकारे के साथ किया भव्य स्वागत
7 महीने में 14900 किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंचा गांवसिरकोनी, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के नत्थनपुर गांव निवासी वीरेंद्र मौर्या ने 4 धाम एवं 12 ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करके जब अपने गांव लौटा तो गांव वालों ने मिलकर हौसला अफजाई करते हुए माला—फूल से उनका स्वागत किया। इस जज्बे के लिए बाबा गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है। कवन सो काज कठिन जग माही, तो नहीं होइ तात तुम पाहीं यह लाइन सटीक वीरेंद्र मौर्या पर सेट होती है। अगर आप किसी चीज के लिए मन बना लेते हैं तो वह काम आसान हो जाता है। 4 धाम एवं 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए 1 सितंबर 2023 को घर से निकले और 17 मई 2024 को 9 महीने बाद वापस हुए।
पत्रकारों से वार्ता के दौरान वीरेंद्र ने बताया कि हम पहले अपने गांव से निकले बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हुए यात्रा की शुरुआत किये। 20 राज्यों में 14 हजार 900 किलोमीटर का पूरी यात्रा रही। यह परमात्मा की कृपा से मुझे प्रेरणा मिली जो आज मैं दर्शन में सफल हुआ। जीवन में कमाना—खाना तो लगा रहता है लेकिन उसके ऊपर भी ईश्वर के लिए कुछ करना ही हमारा लक्ष्य था। पहले काशी विश्वनाथ, बैजनाथ, जग्गनाथ, मलिकार्जुन, आखिरी में बद्रीनाथ, अयोध्या, चौकियां धाम का दर्शन करके आज लौटा हूँ। कहीं—कहीं कुछ मुश्किलें आयी थीं। जैसे अपने यहां यूपी में ठीक है। झारखंड में कुछ ऐसे जगह हैं जहां हमारे भारत के झंडे को नहीं पहचानते हैं। साउथ के कर्नाटक में एक मंदिर है कोटिलिंगा जहां मैं रात में रुका था तो वहां पर लोगों ने कहा कि अगर आपको यहां रुकना है तो झंडे को निकालना पड़ेगा। वहां झंडा को नहीं पहचानते हैं। कई जगह पानी की समस्या थी। लोगों को पानी के कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अब हमारी आखिरी इच्छा है कि हम नर्मदा माता का पैदल यात्रा करें जिसकी दूरी लगभग 3600 किलोमीटर है।
स्वागत करने वालों में सभाजीत विश्वकर्मा, पिंटू विश्वकर्मा, नंद लाल मौर्या, कृष्णा अधीन यादव, रामबली मौर्या, जितेंद्र, नितेश, विजय कुमार, चंद्रभान, मुरारी, जोखू, पवन विश्वकर्मा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
पत्रकारों से वार्ता के दौरान वीरेंद्र ने बताया कि हम पहले अपने गांव से निकले बाबा विश्वनाथ का दर्शन करते हुए यात्रा की शुरुआत किये। 20 राज्यों में 14 हजार 900 किलोमीटर का पूरी यात्रा रही। यह परमात्मा की कृपा से मुझे प्रेरणा मिली जो आज मैं दर्शन में सफल हुआ। जीवन में कमाना—खाना तो लगा रहता है लेकिन उसके ऊपर भी ईश्वर के लिए कुछ करना ही हमारा लक्ष्य था। पहले काशी विश्वनाथ, बैजनाथ, जग्गनाथ, मलिकार्जुन, आखिरी में बद्रीनाथ, अयोध्या, चौकियां धाम का दर्शन करके आज लौटा हूँ। कहीं—कहीं कुछ मुश्किलें आयी थीं। जैसे अपने यहां यूपी में ठीक है। झारखंड में कुछ ऐसे जगह हैं जहां हमारे भारत के झंडे को नहीं पहचानते हैं। साउथ के कर्नाटक में एक मंदिर है कोटिलिंगा जहां मैं रात में रुका था तो वहां पर लोगों ने कहा कि अगर आपको यहां रुकना है तो झंडे को निकालना पड़ेगा। वहां झंडा को नहीं पहचानते हैं। कई जगह पानी की समस्या थी। लोगों को पानी के कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अब हमारी आखिरी इच्छा है कि हम नर्मदा माता का पैदल यात्रा करें जिसकी दूरी लगभग 3600 किलोमीटर है।
स्वागत करने वालों में सभाजीत विश्वकर्मा, पिंटू विश्वकर्मा, नंद लाल मौर्या, कृष्णा अधीन यादव, रामबली मौर्या, जितेंद्र, नितेश, विजय कुमार, चंद्रभान, मुरारी, जोखू, पवन विश्वकर्मा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।