ठंड और गलन के चलते सिकुड़े हैं पंख,कम हुआ कलरव
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भीषण ठंड और गलन से इंसान ही नहीं पशु-पक्षी भी परेशान हैं।सुबह भीषण कुहरे और गलन के के चलते परिंदों का कलरव कम ही सुनाई दे रहा है। कुहरे का असर कम होने पर ही वे अपने बसेरे से निकल रहे हैं।यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी मंगलवार सुबह का दृश्य है जहां जहां घने कोहरे के बीच परिंदा पंख फुलाये सिकुड़ा हुआ है।
मुर्गी फार्मों में चूजों को ठंड और गलन से बचाने के लिए विशेष व्यवस्था करनी पड़ रही है। गांव बामी में ही पोल्ट्री फार्म चलाने वाले हरिओम् गौड़ कहते हैं कि चूजों को फार्म में लाने पर ये मात्र पैंतीस से चालीस ग्राम के होते हैं। बिना मां के इन बच्चों को फार्म में बचाना उनके लिये कठिन चुनौती होती है। पूरे फार्म को प्लास्टिक से ढ़कने के बाद फार्म के अन्दर एक छोटा सा ब्रूडर बना देते हैं और एक अंगीठी रख देते हैं।दिन में दो बार अंगीठी में ईधन भरा जाता है। अंगीठी की गर्मी से चूजे सुरक्षित रहते हैं।10 से 12 दिनों बाद बच्चों को पूरे फार्म में रहने के लिए छोड़ दिया जाता है। उनके चूजे पन्द्रह दिनों के हो गए हैं इसलिए उन्होंने चूजों को ब्रूडर से बाहर निकाल दिया है।