समय तय करेगा अयोध्या धाम किसको देगा फायदा? कौन उठायेगा नुकसान?
https://www.shirazehind.com/2023/12/blog-post_791.html
संजय सक्सेनाअयोध्या धाम नित सजसंवर रहा है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व जब रामभक्त अपने प्रभु रामलला के दर्शन करने अयोध्या आया करते थे तो यहां की दुर्दशा और तंबू में विराजमान रामलला को देखकर आंसूओं से रोने लगते थे। उन्हें दुख सताता था कि जिस प्रभु राम को देश-दुनिया में करोड़ों लोग पूजते हैं जिनकी रग-रग में प्रभु राम समाये हुए हैं, वह प्रभु किन हालातों में रह रहे हैं। 5 सौ साल से यह हालात उस देश में थे जहां 90 फीसदी आबादी रामभक्तों की है। बहरहाल राम भक्तों के वह आंसू अब थम गये हैं। उन्हें इस बात का सुकून हैं कि हमारे प्रभु श्रीराम देर आये दुरूस्त आये। पूरी मर्यादा के साथ आये। अब भी रामभक्त रो तो रहे हैं लेकिन अब यह आंसू खुशी के हैं, क्योंकि रामभक्तों की सदियों पुरानी मुराद पूरी होने जा रही है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को तो धन्यवाद दिया ही जाना चाहिए कि उसने न्याय की कसौटी पर अपना फैसला सुनाया था। 4 वर्ष पूर्व नौ नवंबर 2019 जब इतिहास के पन्नों में अवतरित हुई थी तो यह मात्र तिथि भर ही अपितु अपने अस्तित्वमान होते ही इसने न केवल अतीत की तमाम पोथियों से सदियों की जमा धूल उड़ा दी, बल्कि एक साथ इतने अध्यायों की रचना शुरू हो गई कि ग्रंथ के ग्रंथ लिखे जा रहे हैं। रामलला के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से रामभक्तों की चिर साध पूरी हुई। फैसले ने न केवल रामजन्मभूमि, बल्कि संपूर्ण अयोध्या की दशा बदल दी। इसके लिये सुप्रीम कोर्ट के साथ मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को भी नाकारा नहीं जा सकता है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या को उसकी भव्यता लौटाने के लिए कई बाधाएं समय रहते दूर की। अयोध्या धाम में वह सब कुछ है जो कभी अकल्पनीय था। आज की अयोध्या में पुरानी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के साथ आधुनिकता का भी मिश्रण देखने को मिलता है। भव्य मंदिर बन रहा है तो हाईटेक अयोध्या धाम (पुराना नाम अयोध्या जंक्शन) रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट भी शुरू हो गया है। पूरे देश से अयोध्या धाम आने के लिए केन्द्र सरकार ने टेªनों की श्रंृखला खड़ी कर दी है। राम भक्तों के ठहरने के लिए वर्ल्ड क्लास होटल से लेकर धर्माशालाओं की व्यवस्था की गई है। भक्तों के खानपान का भी ख्याल रखा गया है। पूरे साल कई जगह भंडारे चलते रहेंगे। इसके लिये मोदी-योगी सरकार के सहयोग को कभी भुलाया नहीं जा सकता है परंतु इसके राजनैतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। गैरबीजेपी दलों के यह सब पच नहीं रहा है, खुलकर विरोध करने की ताकत नहीं है, इसलिए शब्दों का ताना—बाना बुनकर कई सवाल दागे जा रहे हैं। यहां तक कहा जाने लगा है कि अब इतना ही बाकी रह गया है कि प्रभु श्रीराम को चुनाव लड़वा दिया जाय। प्राणोत्सव कार्यक्रम की टाइमिंग पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े किये जा रहे हैं।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन 22 जनवरी को होने जा रहे हैं। इसको भव्य और दिव्य बनाने के लिये हर स्तर पर तैयारियां जोरों पर चल रही है। इस प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ट्रस्ट की ओर से सभी 5 हजार से अधिक निमंत्रण पत्र बांटे गये हैं जिनको निमंत्रण पत्र दिया गया है, उसमें तमाम धर्मालंबियों के अलावा राजनैतिक दलों के नेता, कलाकार, खिलाड़ी, उद्योगपति, बुद्धिजीवी आदि शामिल हैं। आज यानी 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट और अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का उद्घाटन कर दिया है। उधर लोकसभा चुनाव से पहले प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या पर हो रहे निर्माण कार्यों का 2024 के नतीजों पर क्या असर पड़ेगा, इसका भी आकलन किया जा रहा है। बीजेपी को आगामी चुनाव में इसका लाभ मिलेगा या नहीं, यह ऐसे सवाल हैं जिनका जबाव समय को अपने हिसाब से देना है, मगर आज तक की बात की जाये तो पिछले 40 वर्षों में इसका सबसे अधिक फायदा बीजेपी को ही मिला है। राम मंदिर से सहारे बीजेपी ने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर तय किया है। जिस बीजेपी के 2 सांसद थे, उसकी अब केन्द्र में बहुमत वाली सरकार है। आधे से ज्यादा राज्यों में भी बीजेपी की सरकार है। इसमें मंदिर मुद्दा का बड़ा योगदान है। राम मंदिर के जरिये बीजेपी देश के 80 फीसदी हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश में लगी है, इसलिए निश्चित रूप से राम मंदिर निर्माण का 2024 लोकसभा चुनाव में फर्क पड़ेगा। बीजेपी की चुनावी रणनीति बड़ी मजबूत और सटीक है। बीजेपी गांव-गांव, शहर-शहर हर जगह राम मंदिर निर्माण का प्रचार कर रही हैं वह देश की जनता तक सीधे पहुंचकर बता रही है कि राम मंदिर निर्माण को लेकर जो उसने कहा था, वह हमने पूरा कर दिया है, इसलिए राम मंदिर निर्माण का लाभ बीजेपी को निश्चित रूप से मिलेगा। वहीं अयोध्या के जरिये बीजेपी शिव और कृष्ण भक्तों को भी लुभाने में लगी है। वह अपने वोटरों को बता रही है कि यदि 2024 के चुनाव में मोदी जीतकर आते हैं तो अयोध्या की तरह मथुरा और काशी को भी सजाया संवारा जायेगा। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह जिसका निर्माण औरंगजेब ने हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़कर कराया था, उसे (हिन्दुओं को) उसका अधिकार वापस दिलाया जायेगा। बीजेपी की यही बातें गैर बीजेपी दलों को रास नहीं आती हैं। वह भाजपा पर साम्प्रदायिकता फैलाने और धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं।
1990 में अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चलवाकर अपने आपको महिमामंडित करने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (अब दिवंगत) को कभी इस बात का मलाल नहीं हुआ कि उन्होंने रामभक्तों पर गोली चलाकर गलत किया था। वह तो यहां तक कहते रहते थे कि यदि और गोली चलानी पड़ती तो उनकी सरकार संकोच नहीं करती। आज समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ में है, उन्होंने भी कभी इस बात के लिये खेद नहीं व्यक्त किया का तक्कालीन सरकार ने गलत किया था। इस पर भी यदि समाजवादी पार्टी प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बुलावा आने का इंतजार कर रहे हैं तो इससे ज्यादा हास्यास्पद कुछ हो ही नहीं सकता है। सपा नेता का कहना है कि बीजेपी हमेशा से धर्म की राजनीति करती आई है, मजहब के नाम पर फायदा उठाना बीजेपी का पुराना तरीका है। हिंदू-मुस्लिम, अजान, भजन, कीर्तन जैसे मुद्दों पर ही बीजेपी वोट मांगती है। सपा को लगता है कि कि राम मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो रहा है, इसलिए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से बीजेपी का कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी ने ही राम मंदिर को बनवाया है। सपा का आरोप है कि बीजेपी इसका पूरा क्रेडिट लेना चाहती है लेकिन बीजेपी चाहे जितना लाभ लेने का प्रयास करें जनता तो यही पूछ रही है कि बीजेपी सरकार ने 2014 में रोजगार देने, किसानों की आय दोगुनी करने और महंगाई कम करने का वादा किया था उन वादों का क्या हुआ। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता सुबोध श्रीवास्तव को लगता है कि जनता के हर मुद्दे पर मोदी सरकार विफल हो चुकी है। नौजवान को रोजगार नहीं मिल रहा, किसानों को उनकी फसल के दाम नहीं मिल रहे, आम आदमी महंगाई से परेशान है। यह सभी मुद्दे आगामी चुनाव में मोदी सरकार पर भारी पड़ेंगे। श्रीवास्तव ने कहा कि जनता को छलने वाले जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए राम मंदिर का सहारा ले रहे हैं लेकिन इस देश का नौजवान, किसान, आम आदमी 2024 चुनाव में अपने विकास के मूल मुद्दों पर मोदी सरकार से सवाल करते हुए वोट करने जा रहा है जबकि बीजेपी का कहना है कि राम मंदिर निर्माण राजनीति का विषय नहीं है। यह एक स्वप्न के साकार होने जैसा है। 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद प्रभु रामलला अपने भव्य मंदिर में विराज रहे हैं। यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। इससे भी कोई राजनीतिक लाभ की बात करता है तो इस राजनीतिक लाभ को लेने के लिए कांग्रेस और सपा को भी पूरी स्वतंत्रता थी लेकिन इन्हें हमेशा तुष्टिकरण दिखाई देता था, इनका 20 फ़ीसदी वोट दिखाई देता था। यह हिंदुओं के भीतर विभाजन करते थे तो आज इनको पीड़ा क्यों हो रही है। वहीं बीजेपी के उत्तर प्रदेश के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि बीजेपी का जो पहले स्टैंड था, आज भी उसी स्टैंड के साथ खड़े हैं। खैर अयोध्या धाम के सहारे बीजेपी सत्ता में वापसी करेगी या नहीं और सत्ता में आती है तो सीटें बढ़ेंगी या नहीं यह अभी कह पाना मुश्किल है लेकिन आज की तारीख में बीजेपी को कोई चुनौती नहीं है। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि विपक्ष के पास पीएम मोदी जैसा चेहरा नहीं है जिसकी पूरे देश में मांग हो।