मजबूत टिके रिश्ते भी हार जाते हैं...
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अक्सर जमा शेष को यह समझाजाता है कि यह संतुलन बचा
है,वास्तव में यह संतुलन नहीं होता
बल्कि मेहनत से अर्जित होता है।
जिसकी सोच में ही आत्मविश्वास
की मज़बूती व महक आ जाती हो,
इरादा भी पक्का होता हो, हौसला
जितना बुलंद हो उतना ही मधुर हो।
उसकी नियत में जब सच्चाई होती है,
तब इस सच्चाई में मिठाई होती है,
ऐसा जीवन ख़ुशियों से भरपूर और
उसमें महकते फूल सी ख़ुशबू होती है।
ऐसे सुंदर सुखमय जीवन में रिश्तों
की जड़ें भावनाओं से सींची जाती हैं,
ऐसी जड़ें मज़बूती से जमीं के अंदर
टिककर स्वार्थ से सदा टकराती हैं।
हाँ यदि ऐसे रिश्तों में जड़ें हिलाकर
ज़िद और स्वार्थ मिलकर टकराते हैं,
तब जिद और स्वार्थ जीत जाते हैं,
मजबूत टिके रिश्ते भी हार जाते हैं।
इसीलिये कहा जाता है कि क़र्म
करने में मनमानी कभी नहीं करिए,
क्योंकि इंसानियत के विरुद्ध किये
क़र्मफल की प्रवृत्ति ध्यान में रखिए।
कभी कभी वो क्षण जीवन में आते हैं
जिनकी क़ीमत हमें नहीं पता होती है,
समय बीत जाने पर यादें रह जाती हैं
आदित्य हमें बस वही याद आती हैं।
कर्नल आदि शंकर मिश्र
जनपद—लखनऊ।