दुविधा को सुविधा में बदलने के लिये गीता का ज्ञान जरूरी: कुलपति
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पराऊगंज, जौनपुर। दुविधा को सुविधा में बदलने के लिए श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान जरूरी है। उक्त बातें 87वॉ कुटीर संस्थान संस्थापन दिवस एवं श्री गीता जयंती समारोह कुटीर चक्के में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रो. बिहारी लाल शर्मा कुलपति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ने कही। साथ ही आगे कहा कि भारत की आत्मा गांव में बसती है और गॉव कुटीर में दसकम धर्म लक्षणं को रेखांकित करते हुए बताया कि हिंदुस्तान के ऋषियों ने भाषण से नहीं, बल्कि आचरण से पूरे विश्व के लोगों को सिखाया है।विशिष्ट अतिथि प्रो. देवराज वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने छात्रों को विनम्र व्यवहार करने की बात बताते हुए भाग शब्द के तात्विक विवेचन किया और संस्थान के छात्र—छात्राओं को साधुवाद एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दिया। संस्थान के प्रबंधक डॉ अजयेन्द्र दुबे ने अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि सूर्य हजारो कमल को देखता है। उन्होंने कहा कि मन ही सारे कार्यों की जननी है। उत्सव मनाना ही जीवन है।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान के सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं प्राचार्य का संस्थान की ओर से अभिनंदन किया गया। साथ ही तीनों संस्था के सर्वोच्च अंक प्राप्त करने एवं सर्वोकृष्ट छात्र—छात्राओं को मेडल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर भारतीय ज्ञान का अनुसरण करना लाभकारी है। प्राचार्य प्रो. आरके पांडेय ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में आचार्य ने गीता पाठ एवं छात्राओं ने अल्पना बनाकर तथा कथक नृत्य प्रस्तुत करके अतिथि स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन छवि गुप्ता ने किया।
इस अवसर पर ललिता सिंह, शांति देवी, गीता शुक्ल, डॉ नीता तिवारी, डॉ पूनम सिंह, पूर्व डॉक अधीक्षक प्रभाकर त्रिपाठी, रत्नाकर चौबे, संजय सिंह, संतोष श्रीवास्तव, गोपीनाथ उपाध्याय, श्रीभूषण मिश्र, ध्रुवनाथ चौबे, शरद मिश्र, पूर्व प्रधानाचार्य मंगला प्रसाद सिंह, हरीश प्रसाद शुक्ल, द्वारिका प्रसाद यादव, पूर्व प्राचार्य मेजर प्रो रमेशमणि त्रिपाठी, कृष्णदेव चौबे समेत तीनों संस्थाओं के प्रधानाचार्य, प्राचार्य आदि उपस्थित रहे।