बाबा साहब ने छुआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में निभायी थी भूमिका: नीरा आर्या
https://www.shirazehind.com/2023/12/blog-post_661.html
सौहार्द बन्धुता मंच के नेतृत्व में पैदल मार्च निकालकर परिनिर्वाण दिवस को किया गया यादकेराकत, जौनपुर। भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ भीम राव अम्बेडकर की बीते बुधवार को पुण्यतिथि थी। 6 दिसंबर 1956 को बाबा साहब ने अंतिम सांस ली थी। इस दिन को परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को देश भर कई कार्यक्रम किए जाते हैं। इसी कड़ी में सौहार्द बंधुता मंच के तत्वावधान में पैदल कैंडल मार्च निकाला गया। कैंडल मार्च बंबावन गांव से निकाला गया जिसका समापन बेहड़ा गांव में हुआ। कैंडल मार्च का नेतृत्व कर रहीं सौहार्द फेलो नीरा आर्या ने कहा कि हमारे संविधान को तैयार करने में डा. अंबेडकर की बड़ी भूमिका थी। इस वजह से वह संविधान के निर्माता के तौर पर जाने जाते हैं। वह बड़े समाज सुधारक व विद्वान थे। दलितों—पिछड़ों में सुधार लाने के लिए उन्होंने काफी काम किया। इतना ही नहीं, छुआछूत जैसी प्रथा को खत्म करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही, इसलिए उनको बौद्ध गुरू माना जाता है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर अपने कार्यों की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके थे। यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर सविता चंदा, धनरा, शालू, मालती देवी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ती समेत समस्त समुदाय के महिला, पुरुष व बच्चे मौजूद रहे।