सात्विक कर्म/विचारों से होता है, जीव का कल्याण: आचार्य शान्तनु
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5वें दिन बाल लीला की कथा श्रवण कर झूम उठे भक्तसुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र रंगवा ग्रामसभा में उषा रानी सिंह शिव कुमार सिंह के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के 5वें दिन कथा ब्यास आचार्य शांतनु महाराज द्वारा भगवान श्रीकृष्ण जी के बाल लीलाओं की सुन्दर कथा का वर्णन किया गया, जिसको सुनकर उपस्थित भक्तों की भीड़ प्रसन्नता से झूम उठी।
ब्यास जी ने भगवान श्री कृष्ण जी द्वारा किए गए सर्वप्रथम पूतना उद्धार का वर्णन करते हुए बताया कि पूतना का शरीर जब चिता पर जलाकर पंचतत्व में विलीन किया जा रहा था तो उसके शरीर चिता के धुंए के सुगंध से आस पास के क्षेत्र सुगंधित हो उठे जिसका कारण था पूतना द्वारा किया गया। भगवान श्रीकृष्ण के साथ ममत्व भाव, इसलिए यदि जीव पाप करता परन्तु उसके बावजूद भी यदि उसके अंदर उदार भाव विद्यमान रहता है तथा कर्म सात्विकता से किया जाता है तो उसका भी निश्चित रूप से किसी न किसी प्रकार से कल्याण होता है। कथा में ब्यास जी द्वारा तृणावर्त उद्धार, नर कूबर उद्धार, वत्सासुर वध, बकासुर वध, अघासुर वध, बलराम व भगवान श्री कृष्ण जी का नामकरण संस्कार, ग्वाल बालों के साथ माखन चोरी तथा भगवान द्वारा की गई विभिन्न सुंदर बाल लीला की कथा का वर्णन किया गया। इस अवसर पर भोला नाथ मिश्र, दिनेश मिश्र, पप्पू मिश्र, उमानाथ मिश्र सहित क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।