प्रेम, मान-सम्मान, यश अर्जन होते हैं
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कोई क्या सोचता है हमारे बारेमें हम क्यों उसकी परवाह करें,
राय मशविरा सब देते हैं पर क्या
वह सब वास्तव में सच होते हैं!
वैसे सोच विचार किसी विषय
पर भी अति मूल्यवान होता है,
लेकिन आवश्यकता से ज़्यादा उसे
तूल देना सदा विषम हो जाता है।
हमारी सोच और हमारे वक्तव्य
भले ही मान्य नहीं किए जाते हैं,
लेकिन क़र्म और कृतित्व हमारे
सदा व्यक्तिव का यथार्थ बताते हैं।
प्रेम, अनुग्रह और कृतज्ञतापूर्वक
हर हालात में ख़ुश रहना जीवन में,
आध्यात्मिक अनुभव बतलाता है,
हर दिन एवं हर पल का जीवन में।
प्रेम, यश, मान-सम्मान, अच्छे संबंध
सत्क़र्म और धर्म फल अर्जित होते हैं,
अर्जन की कोई परिभाषा नहीं होती,
पर जीवन के यह अर्जित फल होते हैं।
मान सम्मान, मित्र, रिश्ते व अनुभव
की छाप क़र्म-धर्म पर भी पड़ती है,
आदित्य अच्छाइयां अदृष्य होती हैं,
पर इनकी छाप औरों पर पड़ती ही है।