सारे नेता कैसे अमीर हो जाते हैं?
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पक्षी के बच्चे जब तक अपने पंख
नहीं फैलाते, उन्हें उड़ना कहाँ आता है,
जीवन में खुद को पाना है तो खुद ही
क्रियाशील बनकर आगे आना है।
नकारात्मक व सकारात्मक दोनो ही
सोच हम सबके ज़ेहन में होती हैं,
जिसको जितना प्रश्रय हम दे पाते हैं
उतनी ही प्रबलता से ये पनपती हैं।
इन दोनो सोच का होना यह साँड़ों
की प्रबल लड़ाई जैसा होता है,
जो जितना ताक़तवर होता है वही
ताक़त से दूसरे को दूर भगाता है।
पर एक दूसरे को आदर करना खुद
अपना आदर करने जैसा होता है,
कोई इज़्ज़त के लायक़ हो या नहीं,
उसका आदर अपना चरित्र दर्शाता है।
छोटी सी चींटी जब हमें काटती है,
वह तब भी छोटी सी ही रहती है
इस जीवन में परिवर्तन होता रहता है,
आज बड़ा कल छोटा होना पड़ता है।
पर आज ज़माना बदला है छोटा
तो अक्सर छोटा ही रह जाता है,
छोटे को बड़ा करने जो निकला है
वह स्वयं बड़े से और बड़ा हो जाता है।
जैसे नेता गरीब के हक़ में लड़ने
राजनीति में पूरे दम ख़म से आते हैं,
गरीब के हक़ में लड़ते लड़ते आदित्य
वह सारे नेता कैसे अमीर हो जाते हैं।