विश्वास शिवस्वरूप है जिसका आधार पवित्र चरित्र है: नारायणानंद तीर्थ
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जौनपुर। बिना विश्वास के सफलता नहीं मिलती है इसलिए विश्वासघात नहीं करना चाहिए। विश्वास का आधार पवित्र चरित्र होता है। पवित्र चरित्र से प्रेम और प्रेम से सेवा भाव उत्पन्न होता है और ऐसा सेवा भाव स्वयं शिव स्वरूप हो जाता है। वैदिक प्रावधानों के तहत आताताइयों दमन भूत और वर्तमान में सर्वथा उचित रहा है। आतंकियों का दमन व्यस्था बनाय रखने के लिए जरूरी है।इनका दमन हिंसा नहीं मानी जाती है। माता, पिता, गुरु और इष्ट का अपमान करने वालों को इनका महत्व समझाना चाहिए।इंसान कभी भी खराब नहीं होता उसका समय खराब होता है इसलिए समय को समझें और ऐसे समय को निकलने दें। यह एक समय चक्र होता है, जो हर इंसान की जिंदगी में आता है इसलिए ऐसे प्रतिकूल समय में विवेक से कार्य करें। शंकराचार्य जी ने बताया कि भगवान भोलेनाथ पर विश्वास करना चाहिए और उनकी प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए। आराधना दुखों बचे रहने का आधार है।भैरव करते हैं शिव भक्त के दुखों का भक्षणिक भगवान शिव व उनके अंश रूप हनुमान जी, भैरव व सहित सभी उनके अंश अवतारों की तीन परिक्रमा की जाती है। शिवलिंग की आधी परिक्रमा कर नंदी दर्शन कर पुन: लौटने पर परिक्रमा पूरी मान ली जाती है। इसी तरह तीन बार आधी परिक्रमा पर नंदी दर्शन करने से तीन परिक्रमा पूरी मान ली जाती है। बिना नंदी दर्शन के भगवान शिव की परिक्रमा पूरी नहीं मानी जाती है। ये बातें विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में नारायण सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने आध्यात्मिक लाभ के लिए सत्संग पंडाल में पधारे भक्तों से कही।
आज पूजा पंडाल में बामी सहित आस पास के भटेवरा, कठार, महापुर, तिलौरा, भुसौला, कल्याणपुर, रामगढ़, खरैयामऊ, भाटाडीह,करौरा, अलापुर कृष्णार्पण, ऊंचडीह, अदारी, लासा, चौकी खुर्द, जगदीशपुर, खरुआंवा आदि गांवों के नर नारी और बच्चे पंडाल में उपस्थित रहे। रविवार को दीपावली का पर्व होने के कारण सत्संग अपराह्न 2 बजे के बजाय 1:30 बजे से ही शुरू होकर 5 बजे के बजाय 4:30 बजे ही समाप्त हो जायेगा।