विद्युत विभाग के संविदाकर्मियों का धरना—प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी

जौनपुर। विद्युत विभाग द्वारा संविदा कर्मचारियों के शोषण का मामला तूल पकड़ रहा है। बताते चलें कि संविदा कर्मियों को विभागीय अंकगणित फंसाकर हलाकान कर रहे हैं विद्युत विभाग के उच्चस्थ अधिकारी। वर्ष के 365 दिनों में कभी न छुट्टी, न कभी आराम जनता और जनपद को सदैव प्रकाशित करने वालों के ही घर अंधेरा होता जा रहा है जिस पर शासन—प्रशासन एकदम चुप्पी साध लिया है। इसका क्या अनुमान लगाया जाए कि तूफान आने के पहले की खामोशी है या फिर अपने ही कर्मचारियों व उनके परिवार के साथ अप्रिय घटना की प्रतीक्षा है। पुराने संविदा कर्मियों को दरकिनार कर नए संविदा कर्मियों की भर्ती कराया गया है।

सूत्रों की मानें तो हुसेनाबाद पॉवर हाउस पर नए पुराने 51 संविदाकर्मियों को ऑन रजिस्टर रखा गया है किंतु उपस्थिति मात्र 28 ही कर्मियों की है, इसकी जवाबदेही तय कौन करेगा? विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 8 माह जो विभाग के लिए विशेष परेशानियों का माह होता है, गर्मी और बारिश उस समय उपरोक्त कर्मियों से काम कराया गया और जब अपना वेतन मांग किए तो आज अधीक्षण अभियंता द्वारा जेई और एसडीओ पर आरोप लगाया जा रहा कि जब इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज है तो उन कर्मियों की उपस्थिति और काम कैसे कराया गया है?
यदि ऐसा रहा तो लिखित क्यों नहीं दिया गया था परन्तु आज भी कार्य पुराने संविदा कर्मियों से ही कराया जाता है। फिर उनके द्वारा किए कार्य का संविदा कर्मियों को पारिश्रमिक नहीं देकर उनके साथ जो बर्ताव विभाग द्वारा किया जा रहा है, वह बहुत ही निंदनीय एवं दुर्व्यवहारिक है। प्रेस से बात करते हुए संविदा कर्मियों ने आपबीती बताते हुए कहा कि आज भी विभाग में छोटी—बड़ी विद्युत वितरण में कोई भी अवरोध उत्पन्न होते ही हम लोगों को ही बुलाकर काम लिया जाता है। नए भर्ती कर्मियों से नहीं। फिर हम लोगों के साथ हमारा विभाग सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है? विद्युत विभाग के संविदा कर्मचारियों के वेतन भुगतान न होने के कारण आहत और भूखमरी की जो पीड़ा है, आज उसी के कारण हम सभी धरना प्रदर्शन अधीक्षण अभियन्ता विद्युत वितरण मण्डल प्रथम जौनपुर के कार्यालय के बाहर कर रहे हैं।
संविदा कर्मियों द्वारा प्रदर्शन का मुख्य कारण यह है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को 3 टुकड़ों में विभाजित कर सम्पूर्ण विद्युत वितरण का निजीकरण करने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उ0प्र0 द्वारा चलाये जा रहे अभियान में सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियन्ता/अधिकारीगण शामिल रहे हैं जिसमें निविदा कर्मचारी भी शामिल रहे हैं। अभियान में शामिल रहने के कारण निविदा कर्मचारियों का विगत 8 माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस सन्दर्भ में निविदा कर्मचारियों द्वारा विभागीय अधिकारीगण व अनुबन्धित कम्पनी को निरन्तर 8 माह से बार-बार इसका संज्ञान कराते हुये बकाये वेतन के साथ वर्तमान वेतन का भुगतान कराने का अनुरोध किया जाता रहा है। विभागीय/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा प्रत्येक माह की उपस्थिति तो प्रेषित की जाती है किन्तु उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जाता। साथ ही यह आश्वासन दिया जाता है कि "भुगतान की कार्यवाही की जा रही है और जल्दी ही बकाया वेतन सहित वर्तमान माह के वेतन का भुगतान कर दिया जायेगा। आप काम करते रहिये किन्तु न किसी प्रकार के बकाये वेतन का भुगतान अभी तक हुआ है और न ही वर्तमान वेतन का भुगतान हो रहा है।
झूठे आश्वासन देकर निविदा कर्मचारियों से कार्य लिया जा रहा है। वेतन के भुगतान न होने से निविदा कर्मचारियों की भूखमरी की स्थिति बन चुकी है और उनके द्वारा अपने परिवार का भरण पोषण करना कठिन हो गया है। विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से बनाये रखने एवं अनुरक्षण/परिचालन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के सम्पादन में निविदा कर्मचारियों की अहम भूमिका रही है और आगे भी रहेगी, यह भी विदित है कि विद्युत व्यवस्था को ठीक/मेन्टेनेन्स करने न निविदा कर्मचारी अपनी जानमाल की भी परवाह करते हैं और विभागीय कार्यों को पूर्ण मनोयोग व सुगमता से पूर्ण करते हैं। इसमें कई बार तो उन्हें विद्युत दुर्घटना का सामना भी करना पड़ता है जिसमें उन्हें व उनके परिवार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद विभाग/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा संविदा कर्मचारियो का शोषण करना एवं वेतन का भुगतान न करना अत्यन्त ही निन्दनीय है। ऐसे रवैये को बदला जाना अति आवश्यक है। कर्मचारियों की समस्याओं का निवारण हो सके तथा निगम को भी किसी प्रकार की कोई हानि न हो। यदि विभाग/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा इनकी समस्याओं का निवारण नहीं किया जाता है और वेतन का भुगतान नहीं किया जाता है तो निविदा कर्मचारियों का अनिश्चतकालीन  धरना और कार्य का बहिष्कार करते हुए धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। इस अवसर पर सन्तराम यादव, नरायण दास मौर्या, गो० जमाल, कुन्दन, प्रदीप कुमार, सतीश सिंह, अशुतोष दूबे, कुंवर सिंह सहित समस्त निविदा कर्मचारी मौजूद रहे।

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