कार्य सिद्धि में संकल्प शक्ति और श्रद्धा सबसे अधिक महत्वपूर्ण: नारायणानंद तीर्थ

 

जौनपुर। मछलीशहर विकास खंड के गांव बामी में चल रही शिव महापुराण कथा के छठवें दिन मंगलवार को मेला स्थल के सत्संग पंडाल में काशी धर्मपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने भक्तों से कहा कि जीवन में किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए श्रद्धा और संकल्प शक्ति विशेष महत्व रखती है। विघ्न के डर से जो काम शुरू ही नहीं करते वे निम्न तथा जो कार्य को बीच में छोड़ देते हैं वे मध्यम तथा सम्पूर्ण शक्ति झोक कर ईश्वर पर श्रद्धा रखते हुए कार्य करते हैं वे उच्च संकल्प शक्ति वाले होते हैं। पिता की संकल्प शक्ति का प्रभाव संतानों की संकल्प शक्ति पर भी पड़ता है। तारकासुर वध में भगवान कार्तिकेय की संकल्प शक्ति के पीछे भगवान शंकर की ही प्रेरणा थी। कथा में कई प्रसंगों का वर्णन महाराज जी ने किया। भगवान गणेश का शिव और उनके गणों से युद्ध, भगवान गणेश का सिर कटने और धड़ पर हाथी का सर जुड़ना, भगवान गणेश की शिव पार्वती की परिक्रमा, गणेश जी का विवाह और भगवान कार्तिकेय की शिव पार्वती से नाराज़गी और कभी विवाह न करने के निर्णय सहित शिव महापुराण कथा के कई प्रसंगों का संक्षिप्त वर्णन श्रोताओं के सम्मुख किया। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण की कथाएं जीवन को पवित्र बनाने वाली हैं ।यह ग्रन्थ अलौकिक है जो पूरे समाज को परिष्कृत होने के लिए जागरूक करता है।उन्होंने कहा कि वह सगुणता और निर्गुणता अद्भुत सामंजस्य हैं।वह संसारी होकर भी विदेही हैं और विदेही होकर भी सांसारिक हैं।भगवान भोलेनाथ बहुत ही सहजता से प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उन्हें भोले कहा जाता है। काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान भोलेनाथ का काशी आकर दर्शन अवश्य करना चाहिए आप लोग भाग्यशाली हैं कि काशी आपके घर से इतनी नजदीक है।

कार्यक्रम के आरम्भ में जनपद और गैर जनपदों से भक्तों ने पादुका पूजन किया तथा कथा समापन पर गुरुदेव महाराज की आरती की गई। बुधवार को कथा समापन के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन नारायण सेवा समिति की ओर से किया गया है।

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