कहे-अनकहे शब्द अपशब्द

शब्दों को स्पर्श नहीं हम कर पाते

पर शब्द सभी को स्पर्श कर लेते हैं,
हम अनकहे शब्दों के स्वामी होते है,
ये शब्द हमारे पास सुरक्षित रहते हैं।

इसके विपरीत शक्ति शब्दों की कि
खुद के कहे हुये शब्दों के अधीन हम,
खुद हो जाते हैं, क्योंकि उन शब्दों को
वापस सुरक्षित नहीं कर सकते हम।

शब्दों से ही हर पल हमको ख़ुशियों
की सुखमय सुहृद अनुभूति होती है,
ऐसे ही शब्द सुभाषितों से स्नेह एवं
जीवन से हर किसी को आस होती है।

कहे गये अपशब्दों से ही ऐसी दुःखद
अनुभूति स्वयं व औरों को भी होती है,
जो हमारे जीवन में कई कई बार
शायद हर किसी के पास होती है।

आदित्य सुख दुःख भरे निज जीवन
में वास्तविक जीवन वही जी पाता है,
जिसे स्वयं पर और स्वयं द्वारा कहे
गए शब्दों पर पूर्ण विश्वास होता है।

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