पराली प्रबंधन चेतना यात्रा कर किसानों को किया जागरूक
उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चन्द्र यादव ने बताया कि पराली प्रबंधन हेतु ग्रामपंचायत वार जागरूकता पैदा कर पराली को मृदा में ही खाद बनाए या गोआश्रय में भेजने का प्रबंध करे उन्होंने वेस्ट डी कंपोजर के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई साथ ही यह भी बताया कि 40 दिनों में कृषि अपशिष्ट, पशु अपशिष्ट, रसोई अपशिष्ट, शहर के अपशिष्ट जैसे सभी जैव अपघटन योग्य सामग्री को अपघटित कर अच्छी खाद का निर्माण कर देता है। सेटेलाइट से निगरानी हो रही है कोई किसान पराली जलाते हुए पाया जाएगा तो उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने किसानों से आवाह्न किया कि वगैर एसएमएस/स्ट्रा रीपर लगे हार्वेस्टर से कटाई न कराए। अध्यक्षता प्रधान अशोक यादव तथा संचालन कृषि वैज्ञानिक डा.अनिल यादव ने किया। गोष्ठी के बाद किसानों द्वारा पराली प्रबंधन स्लोगन की तख्ती लेकर कृषि भवन परिसर से पॉलिटेक्निक चौराहे होते हुए केवीके कैम्प कार्यालय में पराली प्रबंधन चेतना यात्रा समाप्त हुई। इस मौके पर राम चन्द्र दूबे, सिराज अहमद, दीपा रानी, मीना, ललिता, वविता,ससीमा, विष्णु चंद्र , बृजेश, सुरेश यादव आदि प्रगतिशील किसान मौजूद रहे। अन्त में आए हुए कृषकों का कृषि वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र प्रताप सोनकर ने आभार ज्ञापित किया।