हमारे कर्म और हमारा भाग्य

बिना शर्त हँसना मुसुकाना,

बिना स्वार्थ के बतलाना,
बिना वजह जाने किसी को
देकर, उसे मदद पहुँचाना।

बिना किसी से उम्मीद किये
उसकी परवाह व सेवा करना,
रिश्तों की विशेषता होती है,
यह कर्मों की महत्ता होती है।

यथार्थ सत्य है कि प्रभू ने हमें
जन्म देकर पृथ्वी पर भेजा है,
हाथ, पैर, मुँह, नाक, कान,
जीभ, दाँत, दिल, दिमाग़ देकर।

इनका पूरा उपयोग करें कैसे
यह हम पर निर्भर करता है,
कोई सकारात्मक उपभोग
या इनका दुरुपयोग करता है।

हमारा भाग्य हमारे हाथ नहीं,
पर हमारा क़र्म और क़र्म करने
का जज़्बा हाथ में होता है जिसे
हमारा भाग्य नहीं बदल सकता है।

आदित्य हमारे क़र्म अवश्य हमारा
भाग्य बदल सकते हैं, इसलिए हमें
अपने कर्तव्य पर भरोसा करना है,
अपने भाग्य भरोसे ही नहीं रहना है।

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