भाषाओं की जननी है संस्कृत, सभी भाषा का करें सम्मान

जौनपुर। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम लखनऊ की ओर से आयोजित निःशुल्क त्रैमासिक पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर में  पंडित अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि, "संस्कृत सभी भाषाओं की मां है" इसलिए हम सभी को सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। वह 

 75वीं भारतीय भाषा उत्सव तमिल के प्रख्यात कवि सुब्रह्मण्यम भारती  के जन्मदिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह आयोजन

 श्री शीतला देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शीतला चौकियां धाम के सभागार में किया गया था। 

 उन्होंने कहा कि  हिंदी, उड़िया, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, तमिल आदि भाषाएं सब संस्कृत से ही प्रकट हुई है। इसलिए हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। 28 सितंबर से शुरू यह उत्सव 11 दिसंबर को तमिल के प्रख्यात कवि सुब्रह्मण्यम भारती के जन्मदिवस पर संपन्न होगा। 

श्री शीतला चौकियां धाम मन्दिर ब्राह्मण परिवार के संरक्षक पं. अम्बिका प्रसाद त्रिपाठी, पं. प्रवेंद्र कुमार उपाध्याय, पं. त्रिभुवन त्रिपाठी, शिवम त्रिपाठी, संजू त्रिपाठी, रिया, निकिता आदि की प्रशिक्षणा   में सहभागिता रही। संचालन पौरोहित्य प्रशिक्षक डॉ.अखिलेश चन्द्र पाठक ने किया।

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