रामचन्द्र दास के मुखारबिन्द से श्री हनुमत कथा की भक्ति रसधार में डूबे श्रोतागण

जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में चल रहे पांच दिवसीय श्री हनुमत कथा के दूसरे दिन अनंत श्री विभूषित त्रिकाल दर्शी गुरु शरण जी महराज पड़ोखर ने दरबार लगाकर पवित्र गोमती नदी व मां शीतला चौकियां माई की महिमा का गुणगान किया। पंडोखर सरकार, बाला जी सरकार आदि देवस्थलों का जयकारा लगाकर लगभग आधे घंटे के दरबार में 5 पर्चे बनाये। सर्वप्रथम त्रिकाल दर्शी महराज ने पर्चा पहले बनाकर रख लिया। एक मीडियाकर्मी से सामने उपस्थित भीड़ से अपने मन से किसी एक को लाने को कहा। मीडिया कर्मी अपनी इच्छा से एक व्यक्ति उठाकर लाया। पंडोखर सरकार ने नाम पूछा तो युवक ने रोहित चौबे बताया। अपनी समस्या बताई। त्रिकाल दर्शी महराज ने पर्चा पढ़ाया। नाम व समस्या रोहित चौबे नाम का ही निकला। तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंज उठा। पंडाल में मौजूद भक्त उस समय अवाक रह गये जब पंडोखर सरकार ने कहा कि हर्षित पाठक जिनके घर में कोई दुर्घटना से मृत्यु हुई है, वह मंच पर आ जायं। तुरंत उनके घर से कथा पंडाल में बैठी सीमा पाठक मंच पर आयीं। जो बात महिला ने बताई, वह पहले से ही पण्डोखर सरकार के पर्चे में लिखा मिला। पंडाल में बैठे लोग आश्चर्यचकित रह गये। मंच पर बैठे एमएलसी बृजेश सिंह को भी उन्होंने पर्चा दिखाकर पुष्टि कराई। सीमा पाठक ने आशीर्वाद लेते हुये पंडोखर सरकार, बाला जी का जोरदार जयकारा लगाया। अगला पर्चा मोनिका चौरसिया व सेजल कुमारी का बनाया।

दिव्य दरबार के आधे घण्टे बाद तुलसी पीठ से पधारे कथा वाचक तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी अचार्य रामचन्द्र दास महाराज के मुखारबिंदु से श्री हनुमत कथा में श्रोतागण झूम उठे। लगभग 6 बजे जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज के शिष्य तुलसी पीठ उत्तराधिकारी स्वामी रामचन्द्र जी श्री हनुमत कथा के लिए मंच पर आए। मां शीतला की स्तुति करने के बाद सीताराम हनुमान, सीताराम हनुमान कीर्तन से लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। इसके बाद हनुमन जी के जीवन का वृतांत सुनाते हुए भक्तों को भाव विभोर कर दिया। कहा कि हनुमान जी त्रेता युग में राम भक्त बनकर प्रभु की सेवा किए। फिर द्वापर युग में अर्जुन के रथ पर सवार थे। कलयुग में भी श्रीराम के आशीर्वाद से किसी न किसी रूप में मौजूद हैं। जहां श्रीराम कथा होती है, वहां हनुमान अवश्य उपस्थित होते हैं। कथा में सुग्रीव से श्रीराम की भेंट करवाने का वृतांत सुनाया। इसके बाद ही सुग्रीव श्रीराम का साथ पाकर किशकिंधा के राजा बने। हनुमान ही एक ऐसे देवता हैं जिनकी मन्दिर हमें हर जगह मिल जाएगी। किसी गांव का छोटा सा पगडंडी हो, वहां भी कहीं किनारे हनुमत मन्दिर छोटी सी मिल ही जाती है। हनुमान का चरित्र हमें हर परिस्थितियों में जीना सीखाता है। इसके बाद 8 बजे श्री हनुमत आरती के बाद कथा संपन्न हुई।
कथा पंडाल में पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम ने चौकियां माता की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि मां शीतला की महिमा है कि जगतगुरू रामभद्राचार्य जी के शिष्य रामचन्द्र जी यहां कथा कह रहे हैं। हनुमान जी आज भी कहीं न कहीं हमारे बीच मौजूद हैं। इस दौरान राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी, राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव, भजन गायक रविन्द्र सिंह ज्योति, संजय माली, कोषाध्यक्ष, अनिल सोनकर, उपाध्यक्ष, आदर्श उपाध्याय, क्षमानाथ त्रिपाठी, पप्पू त्रिपाठी, गप्पू त्रिपाठी, लड्डू त्रिपाठी, बसंत माली सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। अन्त में मां शीतला कार्यसमिति अध्यक्ष व आयोजक विनय त्रिपाठी ने समस्त अतिथियों का आभार जताया।

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