दर्द को ना दें दावत

प्रमोद जायसवाल 

कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन ने काम करने का तरीका आसान बना दिया है लेकिन इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी तमाम परेशानियों से लोगों को जूझना पड़ रहा है। अपने उठने, बैठने, काम करने के तरीकों से अधिकांश लोग नस एवं मांसपेशियों से संबंधित तमाम बीमारियों की चपेट में आ जा रहे हैं। 'आ बैल, मुझे मार' की तर्ज पर दर्द को दावत दे रहे हैं। गुरुग्राम , हरियाणा के प्रसिद्ध कार्डियो वास्कुलर और पलमोनरी फिजियोथैरेपिस्ट काइरोप्रैक्टर डॉक्टर हरीश ग्रोवर के मुताबिक  कार्यस्थल पर सावधानी न बरतने के कारण वर्तमान में बड़ी संख्या में युवा वर्ग पीठ, कमर, गर्दन आदि दर्द से परेशान है। अगर अपनी जीवन शैली तथा काम करने के तरीकों को व्यवस्थित कर लें तो इन परेशानियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।

'सिटिंग इज न्यू स्मोकिंग'
लगातार बैठना नया धूम्रपान है‌। दर्द की दुनिया में इनदिनों यह मुहावरा तेजी से प्रचलित है। कारपोरेट जगत में लंबे समय तक काम पर बैठने की जरूरत होती है। कार्यस्थल पर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने बैठकर घंटों काम करना पड़ता है। इससे युवा वर्ग कई बीमारियों की चपेट में आ रहा है। लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहने से पीठ, गर्दन, हाथ और पैरों पर बहुत दबाव पड़ता है। पीठ की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी की डिस्क पर जोर पड़ता है। टेलबोन चोटिल हो जाता है। घर पर टेलीविजन के सामने भी लंबे समय तक बैठना दर्द की समस्याओं को जन्म दे रहा है।

गर्दन झुकाकर मोबाइल ,लैपटॉप चलाना खतरनाक
गर्दन झुकाकर मोबाइल फोन व लैपटॉप के इस्तेमाल से गर्दन व रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है। एक पोजीशन में ज्यादा देर तक बैठकर काम करने से गर्दन और रीढ़ की हड्डी में दिक्कत पैदा होने लगती है साथ ही बॉडी पोश्चर भी बिगड़ता है। आगे की तरफ  ज्यादा झुकाव होने की वजह से रीढ़ की हड्डी का उभार बढ़ने लगता है। वह टेक्स्ट नेक सिंड्रोम का शिकार हो जाता है। गर्दन, पीठ, कंधों में दर्द के अलावा सिर दर्द की भी समस्या प्रारंभ हो जाती है। पीठ के ऊपरी हिस्से और कंधे में जकड़न शुरू हो जाता है।

झुककर ब्रश करने से भी आती है दिक्कत
आमतौर पर लोग वॉश बेसिन के सामने झुककर दांतों में ब्रश, कुल्ला आदि करते हैं। झुककर ब्रश करना कम खतरनाक नहीं है। इससे सिर, गर्दन और पीठ के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है। L-4, L-5 तथा S-1 डिस्क दबती है और कमर में जकड़न, दर्द, सूजन, पैरों में झनझनाहट, तलवे में जलन की समस्या शुरू हो जाती है। इसके अलावा छींकते, खांसते व गला साफ करते समय भी सावधानी बरतना जरूरी है।

पैंट के पीछे जेब में पर्स रखने से बचें
लोग पर्स रखने के लिए अपनी पैंट के पीछे वाली जेब का इस्तेमाल करते हैं। कई घंटे तक पर्स को पीछे की जेब में रखने से फैट वॉलेट सिंड्रोम हो सकता है। इससे चलना, फिरना, उठना, बैठना दूभर हो सकता है। दरअसल पीछे पाकेट में पर्स रखने से कूल्हे के पास नस दबता है जो साइटिका की बीमारी को जन्म देता है। इससे स्पाइन में टेढ़ापन आ सकता है। कूल्हा ऊपर नीचे हो सकता है। पैर छोटा बड़ा हो सकता है। साइटिका नस में सूजन से दर्द, झनझनाहट व जलन भी हो सकता है।

हाई हील से घुटनों पर पड़ता है दबाव
लगातार हाई हील पहनने से टखनों और घुटनों पर भारी दबाव पड़ता है। हाई हील के जूते और सैंडल पैरों को प्राकृतिक तरीके से घूमने से रोकते हैं जिससे शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती है। इससे एड़ी में दर्द, घुटनों व कमर में दर्द, मांसपेशियों में सूजन, नसों में दबाव के साथ कभी कभी उंगलियों में टेढा़पन भी आ जाता है‌। इससे गठिया के लक्षण भी बढ़ जाते हैं। पैर की उंगलियों में दबाव पड़ने से पोश्चर भी प्रभावित होता है।

जिम में भी बरतें सावधानी
युवाओं में जिम जाने का फैशन तेजी से बढ़ा है मगर जिम में वर्कआउट करते समय सावधानी रखना जरूरी है अन्यथा आप जिम इंजरी का शिकार हो सकते  हैं। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वार्मअप और स्ट्रेचिंग आवश्यक है। हैवी बेंच प्रेस के दौरान डम्बल या बार्बेल का बैलेंस बिगड़ने से पेक्टोरल इंजरी आ सकती है। ‌ज्यादा वजन उठाने से घुटना चोटिल हो सकता है। कलाई में खिंचाव आ सकता है जो दर्द का कारण बन सकता है। मांसपेशियों पर अधिक दबाव से चेस्ट मसल्स में इंजरी हो सकती है अगर कोई वर्कआउट सही तरीके से नहीं किया जाता है तो वह फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा देता है।

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