हाउस ऑफ पार्लियामेंट: पुराना संसद भवन एवं नया संसद भवन
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हाउस ऑफ पार्लियामेंट का निर्माण इंपीरियल लेजिसलेटिव काउंसिल के लिए हुआ था जब दिल्ली को कोलकाता के स्थान पर राजधानी बनाया गया और दिल्ली को एक प्रांत का दर्जा मिल गया तो एक भवन की जरूरत पड़ी जहां लेजिस्लेटिव मेंबर चुनकर आए और देश की समस्याओं पर चर्चा हो, इसलिए हाउस ऑफ पार्लियामेंट का निर्माण हुआ जब तक भारत गुलाम था तब तक ब्रिटिश सरकार इसी हाउस ऑफ पार्लियामेंट में विधान परिषद की कार्रवाई चलाया करती थी। जब देश आजाद हुआ और सांसद यहां बैठने लगे तब इसे संसद भवन नाम दिया गया। इस संसद भवन का शिलान्यास १२ फरवरी १९२१ को एडविन लुटियंस हरबर्ट बेकर ने की थी जहां तक इसके डिजाइन की बात है। ब्रिटिश आर्किटेक्चर एडविन लुटियंस ने हाउस आफ पार्लियामेंट का डिजाइन किया था। डिजाइन त्रिकोणाकार की गई थी लेकिन असहमति जताने के बाद डिजाइन को बदलकर वृताकार किया गया जो ६ साल में बनकर तैयार हुआ जिसकी लागत ८३ लाख रुपया थी। ५६६ वर्ग मीटर में एक वृताकार के रूप में है। १८ जनवरी १९२७ को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन (१९२६-१९३१) ने इस संसद का उद्घाटन किया था। एडविन लुटियंस १९१४-१५ में भारत आए थे। इसके पहले लुटियंस ने साउथ अफ्रीका और केन्या में संसद भवन बना चुके थे हर्बर्ट बेकर एक आर्किटेक्चर थे। संसद भवन १९५६ में दो मंजिला और जोड़ा गया। इस संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी जी अपने अंतिम भाषण के दौरान कहे थे कि इस संसद को बनाने में भारतीयों का भी बहुत योगदान है।जाने माने पत्रकार एवं स्तंभकार खुशवंत सिंह ने अपनी मशहूर किताब निर्माणस् ऑफ दिल्ली में दो लोगों (लक्ष्मण दास और विशाखा सिंह) का जिक्र किया है और दोनों लोगों के ईमानदारी के किस्से बहुत मशहूर है। लक्ष्मण दास सामान उपलब्ध कराते थे और मेहनताना के रूप में अपने १ और अपनी पत्नी को २५ पैसा देते थे। लक्ष्मण दास और विशाखा सिंह मजदूरों के साथ सिंध प्रांत से पैदल ही दिल्ली आए थे। संसद भवन के अलावा यह सब साउथ ब्लॉक नॉर्थ ब्लॉक और इंडिया गेट भी बनाए थे। इस संसद भवन की कुछ यादें भी हैं। शहीद भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने ८ अप्रैल १९२९ को इसी संसद भवन के असेंबली हॉल में बम फेंका था। संसद भवन की एक और तारीख खास है। २ फरवरी १९४६ को अंतरिम सरकार बनी पंडित नेहरू की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर रहे लियाकत अली खान जो बाद में पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री बने, ने बजट पेश किए थे और वह विवादास्पद बजट रहा जिसे हिंदू विरोधी बजट कहा गया। १४ व १५ अगस्त १९४७ की रात इसी संसद भवन में गरिमामयी कार्यक्रम में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरू ने शपथ ली थी और इसी संसद भवन में देश की किस्मत लिखी गयी।
नई संसद भवन एक ट्रैगुलर आकार में बना है। इसके आर्किटेक्चर विमल पटेल ने बताया कि तिकोना आकार में इसे बनाने के पीछे एक खास वजह यह है कि कई धर्मों में त्रिभुज आकार को अपनाया गया है। साथ ही नई संसद भवन की निर्माण शैली और इसके वास्तु को मध्य प्रदेश मे मौजूद वीजा मंडल मंदिर से जोड़कर देखा जा सकता है। नया संसद भवन काफी हद तक इस मंदिर के जैसा ही नजर आता है। नया संसद भवन का एरिया ६४५०० वर्ग मीटर मे बनाया गया है। यह तीन मंजिला इमारत है। साथ ही दोनों भवनों को खास थीम के साथ डिजाइन किया गया है। लोकसभा भवन को राष्ट्रीय पक्षी मोर और राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर डिजाइन किया गया है। संसद भवन में कुल ६ गेट है जिनके अलग-अलग नाम रखे गए हैं। पहला गेट गज द्वार जो बुद्धि, सम्पदा को दर्शाता है। दूसरा गेट अश्व द्वार यहां घोड़े की प्रतिमा बनाई गई है जो ताकत और मजबूती को दर्शाता है। तीसरा गेट गरुड़ द्वार जो विष्णु की सवारी बताया जाता है। यह शासन की पुष्टि और उम्मीदों का प्रतीक माना जाता है। चौथा गेट मकर द्वार यह विविधता में एकता का प्रतीक है। पांचवां गेट शरर्दुल द्वार यहां शेर की मूर्ति लगाई गई है और यह शक्ति को दर्शाता है। छठा गेट हंस द्वार है। यह विवेक और आत्मज्ञान दिखाता है। नई संसद भवन मूल रूप से सुरक्षित बताई गई है। लोकसभा के स्पीकर के पास एक संगोल रखा गया है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू १४ अगस्त १९४७ को तमिल पुजारियों के हाथों से यह संगोल प्राप्त किया था। उन्होंने इसे एक म्यूजियम में रखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १० दिसंबर २०२० को भारत की नई संसद की इमारत का शिलान्यास किया था। नया संसद भवन पुरानी संसद भवन के पास ही बना है यह एक तिकोना इमारत है जबकि पुरानी संसद भवन वृताकार है। नया संसद भवन निचले सदन लोकसभा के ८८८ सदस्यों की बैठने की व्यवस्था की गई है। नई संसद भवन मे लोकसभा भूतल में होगी जबकि उच्च सदन राज्यसभा में ३८४ सदस्य इसमें बैठ सकेंगे। ऐसा भविष्य में सांसदों की संख्या को ध्यान में रखकर किया गया है। भारत में अभी लोकसभा में ५४३ और राज्यसभा में २४५ सीटें है। नई संसद भवन की संयुक्त बैठक के दौरान १२७२ सदस्य बैठ सकेंगे। इसके अलावा नए संसद भवन में अधिकारियों के अनुसार नए संसद भवन में सभी सांसदों को अलग—अलग कार्यालय दिया जाएगा जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएं होगी, ताकि पेपरलेस कार्यालय की ओर बढ़ा जा सकेगा। इसी इमारत में भव्य कांस्टीट्यूशनल भवन या संविधान हाल होगा जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत को दर्शाया जा सकेगा। यहां भारत की संविधान की मूल प्रति को रखा जाएगा। साथ ही वहां सांसदों को बैठने के लिए एक बड़ा हाल और लाइब्रेरी व कई समितियों के लिए कई कमरे भोजन और बहुत सारी पार्किंग की जगह है।
इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र ६४५०० वर्ग मीटर है जो पुरानी संसद भवन से १७००० वर्ग मीटर से अधिक है। पुरानी संसद भवन का क्या होगा? अधिकारियों के अनुसार पुरानी संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा। नई संसद भवन के निर्माण में ९७१ करोड़ खर्च हुआ। इसका ठेका टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड् को मिला। टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड ने ८६१-९० करोड रुपए की बोली लगाकर ठेका हासिल किया। नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट का खाखा गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फर्म एच.सी.पी. डिजाइन ने तैयार किया है। संसद के इमारत के अलावा इस प्रोजेक्ट के तहत कामन केंद्रीय सचिवालयष् बनाया गया है। यहां मंत्रालयों के दफ्तर है। साथ ही नॉर्थ ब्लॉक साउथ ब्लॉक को संग्रहालयों में बदल दिए जाने की योजना है।
हरी लाल यादव
सिटी स्टेशन, जौनपुर।