भागवत परम कल्याण का पाथेय: आचार्य विजय शंकर

पराऊगंज, जौनपुर। मानव जीवन नाशवान है। इसके नाश का साधन साथ ही लगा है। मन की चंचलता और अज्ञान की निवृत्ति के लिए भागवत श्रवण की उपादेयता सर्वकालिक है। मानव जीवन के परम कल्याण का पाथेय है। उक्त बातें मकरा गांव में कैलाश नाथ दुबे के पैतृक आवास पर चल रहे संगीतमय भागवत कथा का महत्व बताते हुए काशी से पधारे आचार्य विजय शंकर मिश्र ने कही। साथ ही प्रहलाद चरित्र एवं समुद्र मंथन का वर्णन करते हुए बताया कि पंचतत्व से बना यह मानव शरीर को दुर्व्यसन का शिकार न बनाये। अज्ञानता के कारण ही हम भटक रहे हैं। कथा के आरंभ में मंचस्थ व्यास का अभिनंदन ओंकार नाथ दुबे ने किया। इस अवसर पर आचार्य मनीष दीक्षित, अमन पांडेय, सर्वेश पांडेय, गौरव दुबे, दिलीप तिवारी समेत ओंकार नाथ दुबे, जड़ावती देवी, केदारनाथ दुबे, रामदेव, देवी प्रशांत दुबे, उपमा देवी, अभिषेक दुबे, स्मिता देवी, विजय, श्याम दुबे, पुष्पा देवी, दुर्गेश दुबे, प्रतिमा देवी, उत्कर्ष दुबे, राजेश, प्रिंस, वैभव, पियूष, हर्ष, शौर्य पंडित, श्रीभूषण मिश्र, राम सुमेर मिश्र समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।

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