बुंदेलखण्ड का बुंदेला परिवारः सियासी ताकत और पारिवारिक अदावत का घालमेल

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश के दक्षिण और मध्य प्रदेश के पूर्वाेत्तर में स्थित बंुदेलखंड आजकल काफी सुर्खियों में है। एक वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली से सटी औद्योगिक नगरी नोएडा के गठन के 47 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नोयडा की ही तर्ज पर बुंदेलखंड का विकास करने के लिए इस क्षेत्र में नोयडा से भी आकार में बड़ा एक और नया औद्योगिक शहर बनाने का निर्णय लिया है। बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीडा) के नाम से नया औद्योगिक शहर झांसी-ग्वालियर मार्ग बसाया जाएगा। योगी सरकार द्वारा 12 सितंबर 2023 को कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गयी।
 खास बात यह है कि बीडा का आकार नोएडा से भी बड़ा होगा। नोएडा का गठन 13 हजार हेक्टेयर जमीन से किया गया था। बीडा का गठन करीब 14 हजार हेक्टेयर जमीन से किया जा रहा है। बीडा के लिए सरकार पहले चरण में 5000 करोड़ रुपये की राशि देगी। योगी सरकार का यह फैसला निश्चित ही तौर पर मील का पत्थर साबित होगा। इससे रोजगार के अवसर बढेगें तो क्षेत्र में खुशहाली आयेगी।
दूसरी वजह पर गौर किया जाए तो इस समय बुंदेलखंड की सियासत में भी उबाल आया हुआ है, क्योंकि यूपी की सियासत में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाला सुजान सिंह बुंदेला के परिवार का एक सदस्य यूपी की राजनीति से किनारा करके मघ्य प्रदेश की सियासत में अपनी किस्मत आजमाने जा रहा है। यह सदस्य दो बार सांसद रह चुके सुजान सिंह बुंदेला के पुत्र चंद्रभूषण बुंदेला हैं जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में भले ही कुछ ज्यादा नहीं चल पाएं हों लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस को चंद्रभूषण सिंह बुंदेला में काफी उम्मीदें नजर आ रही हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जैसे ही चंद्रभूषण सिंह को मध्य प्रदेश कांग्रेस की सदस्यता दिलाई गई, उसी के तुरंत बाद उन्हें पार्टी में उच्च पद और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक सीट से टिकट भी थमा दिया गया। बुंदेला पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कलमनाथ ने काफी विश्वास जताया है।
सवाल उठ रहा है जो चंद्रभूषण बुंदेला यूपी में सपा-बसपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव नहीं जीत पाए तो मध्य प्रदेश में वह कांग्रेस के लिए कैसे फायदे का सौदा हो सकते हैं।
बाहुबली बसपा नेता चंद्रभूषण सिंह बुंदेला ने हाल ही में कमलनाथ के कहने पर कांग्रेस का हाथ थाम है। मध्य प्रदेश कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद बुंदेला ने कहा कि मैंने घर वापसी की है। मेरे परिवार का डीएनए कांग्रेस का है। मैं और मेरे समर्थक पूरी ताकत से कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए काम करेंगे। चन्द्रभूषण मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का चेहरा हो सकते हैं। ललितपुर सागर के खुरई विधानसभा क्षेत्र से लगा हुआ है। बुंदेला परिवार की अच्छी खासी रिश्तेदारी खुरई विधानसभा क्षेत्र में भी है। माना जा रहा है कि पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे के कांग्रेस छोड़ने के बाद वे खुरई में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह के विरुद्ध कांग्रेस का चेहरा हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि नगरीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस को इस विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी तक नहीं मिला था। ऐसे में कांग्रेस द्वारा चंद्रभूषण पर काफी गंभीर जिम्मेदारी डाली गई है।
चंद्रभूषण सिंह बुुंदेला उर्फ गुड्डू राजा बुंदेला के सितारे भले ही यूपी के चुनावी रण में नहीं चमक पाए हों लेकिन बुंदेलखंड की राजनीति में वह मजबूत पकड़ रखते हैं.उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीतिक रही है। गुड्डू बुंदेला के पिता सुजान सिंह बुंदेला झांसी लोकसभा सीट से 1984 और 1999 में दो बार सांसद रहे हैं। इसी वर्ष मार्च में सुजान सिंह बुंदेला का निधन हो गया था. बात सुजान के बेटे चंद्रभूषण सिंह गुड्डू राजा की कि जाए तो वह पहले समाजवादी पार्टी में रहे हैं। बताया जाता है कि वे अखिलेश यादव के साथ विदेश में पढ़ें थे। पार्टी ने उन्हें टिकट भी दिया लेकिन वे चुनाव हार गये। इसके बाद जब अखिलेश अध्यक्ष बने तो उन्होंने गुड्डू बुंदेला का टिकट काट दिया जिसके बाद वे बसपा में चले गए थे लेकिन वहां भी ज्यादा करिश्मा नहीं दिखा पाए और चुनाव हार गये। अब कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय ने बुंदेलखंड की चुनावी रणनीति को देखते हुए चंद्रभषण को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से एन पहले कांग्रेस में एंट्री दिलाई है। इस तरह से यूपी के ललितपुर की सियासत में सक्रिय रहने वाले बुंदेला अब एमपी राजनीति में एंट्री कर चुके हैं। उन्होंने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है। माना जा रहा है कि गुड्डू राजा बुंदेला खुरई से कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ सकते हैं।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह खुरई से सांसद हैं। ऐसे में अगर गुड्डू बुंदेला खुरई से चुनावी मैदान में उतरते हैं तो ये मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है। बहरहाल बुंदेला परिवार की सियासत के साथ पारिवारिक पृष्ठभूमि भी काफी उठा-पटक वाली रही है। एक तरफ बुंदेला परिवार ने राजनीति में नाम कमाया तो इस दौरान परिवार के बीच का पारिवारिक झगड़ा भी खूब सुर्खियां बटोरता रहा। बुंदेलखंड की राजनीति पर पकड़ रखने वाले जानते हैं कि करीब 3 दशक पहले तक बुंदेलखंड स्थित ललितपुर की राजनीति में ग्रामसभा की छोटी पंचायत से लेकर लखनऊ व दिल्ली तक बुंदेला बंधुओं का दबदबा था। बड़े दाऊ के नाम से पहचाने जाने वाले सुजान सिंह बुंदेला दो बार सांसद चुने गये। वहीं उनके भाई वीरेंद्र सिंह बुंदेला व पूरन सिंह बुंदेला कई बार विधायक बनने के बाद मंत्री बने। दस वर्ष पूर्व तीनों भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। इसी को लेकर धीरे-धीरे भाइयों के बीच दूरियां और बढ़ती गईं। एक समय ऐसा आया कि एक-दूसरे के घर आना-जाना बंद हो गया।
पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह बुंदेला के पुत्र संजू राजा की हत्या के बाद भी दोनों के बीच दूरियां कम नहीं हुईं। स्थिति यह हो गई कि पैतृक गांव डोंगरा कलां की प्रधानी के चुनाव में अलग-अलग प्रत्याशी खड़े किए जाने लगे। इस स्तर तक पहुंचे विरोध की वजह से इनकी राजनैतिक पकड़ लोगों के बीच से घटने लगी। एक समय ऐसा भी आया जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व सांसद सुजान के पुत्र चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डू राजा 2012 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार बनाये गये तो इसकी जानकारी पाते ही पूर्व मंत्री वीरेन्द्र सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में कूद पड़े। जातिगत समीकरणों को देखा जाए तो जनपद के क्षत्रिय व अन्य जातियों के मतदाता अधर में फंस गये। परिणामस्वरूप चंद्रभूषण सिंह बुंदेला लगभग 10 हजार मतों से पराजित हो गये। वीरेंद्र सिंह बुंदेला को लगभग उन्नीस हजार मत मिले थे। इस पराजय के पश्चात करीब 10 वर्ष पूर्व क्षत्रिय समाज के बुजुर्गों की एक पंचायत बुलाई गई और इन ताकतों को एकजुट करने का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया गया। क्षेत्र के बुजुर्गों व शुभचिंतकों ने अलग-अलग दोनों भाइयों से बातचीत की और दोनों को एक साथ गुजारे गए पल याद दिलाये गये। परिणामस्वरूप पूर्व सांसद सुजान सिंह बुंदेला मान गये लेकिन उन्होंने खुद को बड़ा भाई बताते हुए पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह बुंदेला के अपने घर आने की बात रखी। इसी के साथ वर्षों बंद चल रहा बातचीत का दरवाजा खुल गया और समाज के लोगों संग पूर्व मंत्री अपने बड़े भाई के घर पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। दोनों भाई गले मिले और आंखों से छलके आंसुओं ने सारे गिले शिकवे दूर कर दिये। इसके बाद पूर्व सांसद भी अपने छोटे भाई के घर गये। यहां से समाज के लोगों संग सभी लोग तुवन मंदिर प्रांगण पहुंचे और भगवान हनुमान की पूजा अर्चना की। खुली जीप में दोनों भाइयों ने ललितपुर नगर का चक्कर लगाकर अपने एक होने का ऐलान किया, यह बात 2013 की थी।
खैर! बात मौजूदा सियासत की कि जाए तो मध्य प्रदेश की खुरई विधानसभा सीट से चंद्रभूषण को मैदान में उतारे जाने की खबर सामने आते ही मोदी सरकार में नगरीय आवास एवं विकास विभाग भूपेद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस का यह दुर्भाग्य है कि उसके पास कोई प्रत्याशी नहीं है। जिस वजह से उसे यूपी से नेताओं का आयात करना पड़ रहा है। मंत्री ने कहा कि खुरई में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस से मैदान में दो दफा ताल ठोकने वाले पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे कांग्रेस छोड़ चुके हैं। खुरई विधानसभा में कांग्रेस लगभग खत्म सी हो गई है। इस कारण पड़ोसी राज्य के जिले व खुरई विधानसभा की सीमा से सटे ललितपुर यूपी से कांग्रेस को नेता आयातित करना पड़ रहे हैं। बता दें कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह खुरई से सांसद हैं। ऐसे में अगर गुड्डू बुंदेला खुरई से चुनावी मैदान में उतरते हैं तो ये मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है।

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