खेतों में फसल के साथ तैयार हो रहे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
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जौनपुर। "तू भी है राणा का वंशज,फेंक जहां तक भाला जाए" वाहिद अली की यह मशहूर कविता जिले के मछलीशहर के डभिया गांव के दो दर्जन से अधिक युवाओ पर सटिक बैठती है। इस गांव के तीस बच्चे खेल का मैदान न होने के बाद भी खेतो में जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करके देश के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहते है।
पेश है रूद्र प्रताप सिंह की यह रिपोर्ट
जौनपुर। मछलीशहर तहसील क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है डभिया। यहां की जमीन इतनी ऊपजाऊ हैं कि खेतों में फसलों के साथ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार हो रहे हैं। भारतीय एथलेटिक्स टीम के सदस्य रोहित यादव इसी गांव में खेतों में भाला फेंककर आगे बढ़े। उनके भाई राहुल भी एक अच्छे जैवलिन थ्रोवर हैं। अब हालात यह है कि गांव के 30 बच्चे हर रोज चार से पांच घंटे खेतों में प्रैक्टिस करते हैं। कोच सभाजीत यादव का दावा है कि इनमें से कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो आने वाले कुछ दिनों में ही देश और प्रदेश का नाम रोशन करेंगे।
पेशे से खेती-किसानी करने वाले सभाजीत यादव अपने जमाने के अच्छे एथलीट रहे हैं। वह जैवलिन थ्रोवर थे। नेशनल व मंडल स्तर पर करीब 80 मेडल जीत चुके हैं। समय के साथ शादी व फिर तीन बेटे हुए। सभाजीत बताते हैं कि इच्छा थी कि मेरे तीनों बेटे एक अच्छा एथलीट बनें। वह देश के लिए मेडल लाएं। लेकिन क्षेत्र में दूर-दूर तक खेल का मैदान नहीं था। ऐसे उन्होंने अपने दरवाजे के सामने के खेत को ही मैदान बनाने का निर्णय लिया। शुरू में वह अपने तीनों बेटों राहुल (25), रोहित (23) व रोहन (18) को लेकर प्रैक्टिस करने लगे। राहुल और रोहित अच्छा प्रदर्शन करने लगे। परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते रोहित अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन गए। यह देख गांव के बच्चों में भी खेल के प्रति रुझान बढ़ा। अब 10 से लेकर 20 साल के करीब 30 बच्चे हर रोज चार से पांच घंटे खेत में जैवलिन फेंककर अभ्यास कर रहे हैं।
रोहित ने 2013 में थामा जैवलिन
अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रोहित अपने बड़े भाई राहुल के साथ 2013 में जैवलिन फेंकना शुरू किया। छोटे भाई रोहन ने 2021 में जैवलिन पकड़ा। राहुल व रोहित अपने पिता के साथ हर रोज चार से पांच घंटे तक अभ्यास करते रहे। सभाजीत ने रोहित की रुचि को देखा तो उसे ब्लाक, जिला, मंडल व स्टेट स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भेजा।
2015 में नेशनल गेम में लिया हिस्सा
2015 में रोहित ने नेशनल गेम में हिस्सा लिया। 2016 में विश्व स्कूल गेम्स में रोहित ने भारत के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय टीम में चयनित होने के बाद उन्होंने इंग्लैंड में 2022 के राष्ट्रमंडल खेल खेल में हिस्सा लिया और छठवें स्थान पर रहे। अमेरिका में आयोजित 2022 में विश्व चैम्पियनशिप में भी रोहित ने हिस्सा लिया।
जैवलिन थ्रोवर राहुल यादव ने बताया कि नीरज चोपड़ा के साथ रोहित को खेलते देखकर गांव के लड़कों में काफी उत्साह आ गया है। वह हर रोज चार से पांच घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मैदान नहीं होने के कारण हम लोग खेत में ही जैवलिन फेंकते हैं। रोहित को उनके खेल की वजह से रेलवे में नौकरी मिल गई है।
कोच सभाजीत यादव का कहना है कि सरकार खिलाड़ियों पर ध्यान दे रही है। लेकिन ग्रामीण इलाकों पर फोकस नहीं है। बिना संसाधन के खेल के लिए संघर्ष करने वालों पर ध्यान देने की जरूरत है। गांव के बच्चों को अपने पास से जैवलिंग देता हूं। रोहित को टीवी पर देखने के बाद गांव के और बच्चे आने लगे।