भाजपा से पिछड़े वैश्यों का मोहभंग, अब नेतृत्व रिझाने में लगी

ध्रुव चन्द जायसवाल

भाजपा के रणनीतिकारों ने एक रणनीति बनाई है कि वैश्यों को पुन: अपने साथ जोड़ा जाय, उसी के तहत भाजपा के चाणक्य अमित शाह जी अभी राजस्थान गए थे। एक सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री जी से उनके कार्यकाल का हिसाब मांगा था। महत्वपूर्ण बात यह थी मैं वैश्य हूं हिसाब किताब ठीक-ठाक से जानता हूं और रखता हूं किन्तु शाह जी सत्ता में पहुंचते ही सत्ता की हनक मे भूल गए कि मैं वैश्य हूं। जब सत्ता हाथ से फिसलने लगी तो पुनः वैश्यों को रिझाने के लिए कहा कि मैं वैश्य हूं। शाह जी को अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा याद दिलाना चाहती है कि उत्तर प्रदेश के पिछड़े वैश्य भी हिसाब-किताब ठीक-ठाक से जानते हैं और रखते हैं। शाह जी आपसे 2014 से 2024 तक हिसाब—किताब लोकसभा चुनाव से पहले करना है। उत्तर प्रदेश में 80 संसदीय सीटों में से कितने सीटों पर पिछड़े वैश्यों को टिकट दिया था तथा उत्तर प्रदेश के 2017 एवं 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 सीटों मे कितनी सीटें पर पिछड़े वैश्यों को टिकट दिया था। इसका भी हिसाब—किताब करना है तथा उत्तर प्रदेश के पिछड़े वैश्यों को राज्यसभा एवं विधान परिषद में कितने पिछड़े वैश्यों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया था, बताने का कष्ट करें।
भाजपा के रणनीतिकारों ने एक चक्रव्यूह की रचना की है। उसी रणनीति के तहत शाह जी ने अचानक अपने आपको वैश्य कहकर देश के वैश्यों को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। महासभा द्वारा हिसाब—किताब मांगने पर भाजपा के कुछ लोग बंधुआ मजदूर हैं, उनके मालिक से हिसाब मांगना अच्छा नहीं लगेगा। महासभा के पदाधिकारियों की आलोचना करने से बाज नहीं आयेंगे किन्तु इस बार उन्हें यथास्थिति से अवगत कराना ही है। राजस्थान के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर रणनीतिकारों के रणनीति के तहत जयपुर में 17 सितंबर 2023 को वैश्य महापंचायत हुई रैली में सभी वर्गों के वैश्यों ने ऐतिहासिक रैली किया। महासभा की तरफ से बहुत बधाई देता हूं। सवर्ण वैश्यों ने पिछड़े वैश्यों के होनहार पढ़े—लिखे छात्रों एवं छात्राओं एवं बेरोजगार युवाओं के साथ छल-कपट किया है। 10% ईडब्लूएस से बढ़ाकर 15% आरक्षण की जाय। पिछड़े वैश्यों के साथ धोखा दिया, बल्कि उल्टे नुकसान किया। महासभा अब पिछड़े वैश्यों का भाजपा द्वारा शोषण नहीं करने देगा हक़ दिलाकर ही चैन की सांस लेगा। पिछड़े वैश्यों को आगाह करते हुए कहा कि सचेत  रहने की जरूरत है। सवर्ण वैश्यों के माध्यम से आपका पुनः मत-प्राप्त करने के लिए उक्त आयोजन रणनीति के तहत हुई। विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए रणनीति के तहत सवर्ण वैश्यों ने 20% सीटों पर वैश्यों को टिकट देने एवं वैश्य आयोग का गठन किया जाय। भाजपा के रणनीतिकारों की रणनीति सफल हुई किन्तु उन्हें यह नहीं याद आया कि पिछड़े वैश्यों में सामाजिक शैक्षणिक राजनैतिक जागरूकता आ गई है। अब पिछड़े वैश्य अपना हक़ लेने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव लड़कर अपना हक़ लेंगे।
(लेखक अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हैं)

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