जौनपुर में कवियों ने मनाया राष्ट्रीय हिन्दी दिवस
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जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की गोष्ठी राजगढ कालोनी परमानतपुर में राष्ट्रीय हिन्दी दिवस समारोह मनाने के लिए हुई जिसकी अध्यक्षता करते हुये प्रख्यात विधिवेत्ता और साहित्यकार प्रो. पी.सी. विश्वकर्मा ने कहा कि हिंदी अब साहित्य की भाषा तक सीमित नहीं है। अब यह भूमंडलीकरण के पश्चात विज्ञान और वाणिज्य की भाषा बन चुकी है। भाषा विज्ञानी सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने हिंदी की उपादेयता और उसकी व्याकरण सम्मत लिपि का उल्लेख किया। शायर निसार अहमद ने हिंदी को संस्कार और सरोकार से जुड़ा हुआ बताया तो वहीं रामजीत मिश्र ने हिंदी को उत्तर-दक्षिण को जोड़नेवाली सेतु कहा। प्रो. आर.एन. सिह ने बदलते परिवेश में हिदी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे संवाद की दृष्टि से एक सहज भाषा बताया और कहा कि भाषा समिति की बैठक में एक वोट से हमारी हिंदी हार गई, वरन् राष्ट्रीय भाषा बन गई होती। जनार्दन अष्ठाना ने कहा कि हिंदी राष्ट्रीय एकता और अखंडता की वाहिका है। इसी क्रम में गिरीश कुमार ने एक मुक्तक के माध्यम से मां भारती को नमन किया--- पुलक तिलक चंदन करते हैं/भाषा तव वंदन करते हैं। हिंदी माथे की विंदी है। शत-शत अभिनंदन करते हैं। संजय सागर ने पढ़ा-- हर विपदा को झेल गया मैं/सूर्य तेज से सिंचित था। राजेश पांडेय, अंसार जौनपुरी, सुशील दुबे ने हिंदी भाषा पर प्रकाश डालते हुए काव्य पाथ भी किया। संगोष्ठी का संचालन अशोक मिश्र ने किया।