ज्ञान की गंगा को ग्रामीणांचल में उतारने वाले भगीरथ

जनपद जौनपुर की सीमा पर स्थित बाबा बजरंग बली की पौराणिक ऐतिहासिक एवं पावन नगरी बिजेथुआ महावीरन के पास पश्चिमांचल में स्थित गांधी स्मारक विद्यालय संकुल के संस्थापक ठाकुर प्रसाद सिंह की पुण्यतिथि 22 सितंबर को प्रतिवर्ष 'प्रेरणा दिवस' के रूप में में मनाई जाती है। यह उनकी 20वीं पुण्यतिथि होगी। पूर्व प्रबंधक एवं संस्थापक स्व. सिंह द्वारा विद्यालय संकुल की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए अंतिम गरीब व्यक्ति के बच्चे को शिक्षित करके उनके जीवन का उन्नयन करना था। ग्रामीण अंचल की धरा पर विद्या एवं ज्ञान की गंगा को उतारने वाले शिक्षा के भागीरथ और महामना मदन मोहन मालवीय के रूप में जाने जाते हैं। उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए यह पुण्यतिथि अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और उससे  हुए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक परिवर्तन और प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में छात्र-छात्राओं और आम जनमानस के लिए यह कार्यक्रम प्रेरणास्पद् एवं जीवन के लिए अनुकरणीय है ऐसा आम जनमानस का विचार है।

1948 में विद्यालय की स्थापना के पूर्व और अतीत में उस समय की तुलना में वर्तमान में मानव जीवन के स्तर में सुधार तथा जीवन में आए हर क्षेत्र में बदलाव के बारे में लोग प्रत्येक वर्ष 22 सितंबर को प्रेरित होते हैं। संस्थापक के विद्यालय की स्थापना से क्षेत्रीय, स्थानीय, प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर हुए हर क्षेत्र में समग्र रूप से आमूल-चूल परिवर्तन को लोग देखने के साथ महसूस कर रहे हैं। क्षेत्र के नागरिकों में बहुमुखी प्रतिभा के विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं उत्तम शिक्षा प्रदान करके राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला विद्यालय गांधी स्मारक विद्यालय संकुल उल्लेखनीय है। ठाकुर प्रसाद सिंह ने ग्रामीणांचल में शिक्षा की अलख जगाकर अभूतपूर्व तथा इस क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक कार्य करके अनोखी मिसाल कायम की है।
विद्यालय की स्थापना को 75 वर्ष पूरे होने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में आए बदलाव के बारे में अगर हम गहराई से विचार करें तो इसके लिए हमें 75 वर्ष पहले के अतीत में जाना होगा।शिक्षा से लेकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं खेलकूद की प्रतियोगिताओं में प्रदेश स्तर पर छवि स्थापित करने में पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रणजीत सिंह की सबसे अहम भूमिका रही है। इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता। डॉ रणजीत सिंह ने 1989 में आयोग से प्रधानाचार्य होकर प्रधानाचार्य का कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात तमाम विषम परिस्थितियों और संघर्ष की स्थितियों तथा चुनौतियों का सामना करते हुए स्व. संस्थापक की विचारधारा और परिकल्पना को साकार किया जिसमें संकुल के शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है जिन्होंने एक उत्कृष्ट शिल्पकार की भांति अपने शिष्य रूपी प्रतिमा को तराशा जिनकी प्रसिद्ध आज देश-विदेश में है। यह बात भी किसी से छिपी नहीं है। आज स्व. सिंह के सपने को संकुल के प्रबंधक हृदय प्रसाद सिंह रानू नि:संदेह साकार कर रहे हैं। स्व. संस्थापक के सपने को साकार करने और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ऊंची उड़ान भरने के लिए छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों को मजबूत पंख प्रदान कर रहे हैं।
श्री रानू के प्रबंधक रहते डॉ रणजीत सिंह ने अनुशासित जीवन, एक आदर्श प्रधानाचार्य, ईमानदार छवि तथा शिक्षकों के कर्तव्य के प्रति ईमानदारीपूर्वक निर्वहन और बच्चों को उत्तम और गुणवत्ता परक शिक्षा प्रदान करने की बदौलत सन् 2015 में महामहिम राज्यपाल राम  नाइक के हाथों पुरस्कृत किए गए जिसके वह वास्तव में हकदार थे। पूर्व प्रधानाचार्य डॉ रणजीत सिंह के नेतृत्व में शिक्षा से लेकर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं खेलकूद तथा स्काउट गाइड, रैलियों और प्रतियोगिताओं में प्रदेश स्तर पर इस विद्यालय ने चैंपियनशिप हासिल की। विद्यालय हमेशा समाचारों की सुर्खियों में छाया रहा। ठाकुर प्रसाद सिंह ने गांधी स्मारक विद्यालय संकुल की स्थापना करके जनपद के विद्यालयों के बीच परस्पर प्रतियोगिता की भावना को जन्म दिया और शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग क्रांति की ज्वाला को भड़का दिया जिससे अन्य विद्यालय भी आगे बढ़ने की होड़ में लग गए। इसमें कोई संदेह नहीं कि स्व. संस्थापक ने समाज के सबसे कमजोर और आर्थिक स्तर के लिहाज से पिछड़ेपन के साथ सांस्कृतिक क्षेत्र में रहन-सहन में पिछड़ेपन को दूर करके दलितों अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्ग के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का काम किया और उन्हें समाज में सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार दिया जो शिक्षा से ही संभव हो सका। ठाकुर प्रसाद की सोच थी कि बच्चों में पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ खेलकूद, समाजसेवा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भागीदारी हो जिसे प्रबंधक हृदय प्रसाद सिंह व डॉ रणजीत सिंह के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में शिक्षकों ने छात्र-छात्राओं को उचित और सकारात्मक शैक्षिक वातावरण दिया जिससे इस विद्यालय से पढ़—लिखकर छात्र-छात्राओं ने केवल देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी गांव की मिट्टी की सुगंध को फैलाने का काम किया।
डॉ रणजीत सिंह का विचार था कि किताबी ज्ञान के अलावा व्यायाम और खेलकूद मनुष्य की बहुमुखी प्रतिभा में निखार लाते हैं। देश की आजादी के बाद स्वर्गीय ठाकुर प्रसाद सिंह गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे जिसके कारण उन्होंने विद्यालय की स्थापना गांधी जी के नाम पर की। इस विद्यालय में महात्मा गांधी और रविंद्र नाथ टैगोर के शिक्षा दर्शन की झलक दिखाई देती है। राष्ट्रीय सेवा योजना एवं स्काउट गाइड ने छात्रों को विशेष रूप से प्रकृति से जोड़ने का कार्य किया जो टैगोर की शिक्षा दर्शन का द्योतक है। क्षेत्र के विभिन्न विद्यालयों में पत्रकारिता के क्षेत्र में मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष हेमंत तिवारी जिन्होंने क्षेत्र की छवि को को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय  स्तर के मानसिक पटल पर स्थापित किया। इसी कॉलेज से पढ़े—लिखे जो किसी भी प्रकार के परिचय के मोहताज नहीं हैं। गांधी स्मारक पीजी कॉलेज समोधपुर इतिहास के विभागाध्यक्ष वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व कार्यक्रम समन्वयक तथा कुलाधिपति निर्देशित कार्यक्रमों के समन्वय प्रो. राकेश यादव जिन्होंने विद्यालय परिवार के नाम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई।
प्रो. राकेश यादव के नेतृत्व में स्वयंसेवकों तथा स्वयंसेविकाओं ने संसद में भाषण, चीन तथा वियतनाम तक की यात्रा की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 जनवरी 2018 को राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह में 60 हजार स्वयंसेवकों को संबोधित किया तथा 12 जनवरी 2019 को योग गुरु बाबा रामदेव के सानिध्य में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह में 1 लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने सामूहिक योग के तीन गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया जिसके लिए इनको कुलपति एवं कुलसचिव ने बाबा रामदेव द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। इन्हीं के नेतृत्व में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने गणतंत्र दिवस में परेड में भाग लिया और चैंपियन भी रहे। संगीत के क्षेत्र में विभिन्न टीवी चैनलों पर जलवा बिखेरने वाले सुरेश शुक्ल को कौन नहीं जानता? इसके अलावा मशहूर सिंगर सुरेश शुक्ला को महाराष्ट्र सरकार के अतिरिक्त तमाम सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। संगीत के क्षेत्र में प्रदेश स्तर पर चैंपियन होने तथा कला व मूर्ति कला क्षेत्र में अमर की कलाकृतियों ने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र और विद्यालय परिवार का मान बढ़ाया। इसके पीछे संगीत शिक्षक प्रेमनाथ सिंह चंदेल तथा कला शिक्षक रामबख्श सिंह का अहम योगदान था।
यह बात उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय से पढ़े छात्र प्रशासनिक, न्यायिक, वैज्ञानिक, ज्योतिष, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सेना, पुलिस विभाग, कला, संगीत सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर आसीन होकर गांव की मिट्टी की सुगंध को फैला रहे हैं। ठाकुर प्रसाद ऐसी शख्सियत थे जो प्रधानमंत्री से सीधे बात करने की हैसियत रखते थे। आज सर्वसमाज के लिए वह प्रेरणा स्रोत साबित हो रहे हैं। विद्यालय संकुल में विभिन्न प्रतिष्ठान जैसे-अवघड़ भगवान राम बाल विद्यापीठ, श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज, गांधी स्मारक पीजी कॉलेज, गांधी स्मारक डीपीएड कॉलेज तथा ठा. प्रसाद सिंह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान संचालित हैं जहां प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा ग्रहण की जा सकती है। इसके लिए अन्यत्र जाने की जरूरत नहीं होगी। उपरोक्त शाखाएं ठाकुर प्रसाद के प्रबंधक के कार्यकाल में ही स्थापित हो चुकी थी।

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