पैगम्बर मोहम्मद साहब ने पूरी दुनिया में शांति, भाईचारा व मोहब्बत का पैग़ाम दिया
https://www.shirazehind.com/2023/09/blog-post_344.html
जौनपुर। अल्लाह के आखिरी पैगम्बर रसूले ख़ुदा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा साहब व दूसरे इमाम हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत की याद में देर रात्रि में जुलूस नक़ी फाटक से उठा।
स्थान इमामबाड़ा नकी फाटक में मजलिस हुई। जिसमें सोज़ख्वानी मो. अब्बास काज़मी ने अपने साथियों के साथ किया। पेशख्वानी हेजाब इमामपुरी व साहेबरज़ा ने किया। मजलिस को धर्मगुरु मौलाना महफूज़ुल हसन खां ने सम्बोधित करते हुए पैगम्बरे इस्लाम मोहम्मद साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोहम्मद साहब ने पूरी दुनिया को न सिर्फ शांति का संदेश दिया बल्कि अपने किरदार से दुनिया को अंधकार मुक्त बनाने का तरीका भी बताया। आगे उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब का दुनिया में आने का मकसद लोगों में भाईचारा व मोहब्बत का पैगाम देना था। मोहम्मद साहब ने पैगाम दिया है कि मोहब्बत से जीना ही जिंदगी है। दूसरों के बुरे समय में मददगार बनने वाला अल्लाह का नेक बंदा होता है।
बाद खत्म मजलिस शबीहे अलम निकाला गया। उसके बाद नकी फाटक के सामने हुसैनिया मस्जिद पर मौलाना सैय्यद दाबिश हसन नक़वी ने तकरीर करते हुए हज़रत इमाम हसन की शहादत का वाक़या पढ़ा और बताया कि इमाम को ज़हर देकर शहीद किया गया तो माहौल ग़मगीन होगा, लोग सिसकियों के साथ रोने लगे, तभी शबीहे ताबूत निकाला गया, और एक जुलूस की शक्ल में अन्जुमने नौहा पढ़ती मातम करती हुई मल्हनी पड़ाव होतें हुए इमाम चौक वक़्फ़ बीकानी बीबी तक गई। जुलूस पुनः नक़ी फाटक में आकर समपन्न हुआ। जुलूस में अन्जुमन जुल्फेक़ारिया मस्जिदतला, कौसरिया रिज़वी खान, अज़ादारिया बारादुअरिया व बेशीरे करबला हममाम दरवाज़ा ने नौहा पढ़ा व मातम किया।
अन्त में सै मो मुस्तफा, सै शाहिद हुसैन गुड्डू व सै जावेद ने लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सै मो हसन नसीम, इसरार हुसैन एडवोकेट, असद, कायम आब्दी, शोएब, मुफ्ती शारिब, सै मेहदी हसन सामिन, ताहिर खान, जहीर हसन, नजमुल हसन, हुसैन मुस्तफा वजी, अमीरुल हसन, साजन, सहित हज़ारों की संख्या में महिला पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।