समय: तब और अब

चुपके चुपके कैसे समय बदलता है,

चुपके से ही जीवन परिवर्तित होता है,
एक रुपये में दस चीज़ें आती थी,
अब सौ रुपये में एक चीज़ ही आती है,
आज का समय यह ऐसा है।

आओ मैदान में चलें यार खेलने,
मित्रों को यह कह के बुलाते थे,
आनलाइन आओ यार कहकर,
अब तो इंटरनेट पर बुलाते हैं।
आज का समय यह ऐसा है।

भाई- बहन की चाकलेट
चोरी करके खा जाते थे,
अब उनके बच्चों को चाकलेट
सब ऑनलाइन ही भिजवाते हैं।
आज का समय यह ऐसा है।

दो मिनट बस दो मिनट माँ,
तब सबका जीवन ऐसा था,
अब अलार्म लगाकर सोते हैं,
आज समय सभी का ऐसा है।
आज का समय यह ऐसा है।

ज़िद करके चिल्लाना वह,
अपनी बात मनवाता था,
अब आँसू आये तो छिपाते हैं,
जब कुछ ऐसा होता जाता है।
आज का समय अब ऐसा है।

हम भी इतिहास रचाएँगे,
जब हम बड़े हो जाएँगे,
काश फिर बचपन आ जाये,
अब ऐसा दिल में आता है।
आज का समय अब ऐसा है।

पहले मिलकर प्लान बनाते थे,
बहुत समय मिल जाता था,
अब समय कहाँ है मिलने का,
पहले प्लान बने फिर मिल पाते हैं।
आज का समय अब ऐसा है।

तब माता-पिता से डरते थे,
कि वह नाराज़ हो जाएँगे,
माता-पिता रहें सकुशल,
अब प्रभू से यही मनाते हैं।
आज का समय अब ऐसा है।

चेहरे की हंसी से गम को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो,
खुद ना रुठो पर सबको हंसा दो,
यही राज है इस जिंदगी का,
जियो और जीना सिखा दो,
आज का समय अब ऐसा है।

जीवन के इस पड़ाव पर
आदित्य आज समझ रहे हैं कि,
चुपके चुपके कैसे समय बदलता है।
चुपके से ही जीवन परिवर्तित होता है।
आज का समय अब ऐसा है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र
जनपद लखनऊ

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