एक बार फिर अपर्णा यादव के चुनाव लड़ने की चर्चा
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अजय कुमारलखनऊ। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम
सिंह यादव की छोटी बहू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के छोटे भाई की पत्नी अपर्णा यादव जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, एक बार फिर से चर्चा में है। कहा जा रहा है कि अपर्णा यादव ने जिस तरह से बीजेपी के लिए अपने आप को समर्पित किया है। अब संभवत: उसकी उन्हें ’कीमत’ मिल सकती है। अपर्णा को बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार सकती है। इस बात की चर्चा तब तेज हुई जब गत दिवस उन्होंने दिल्ली में भाजपा संगठन के नेताओं से भेंट की। इसी के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने का कहा गया है। अपर्णा ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष व महासचिव सुनील बंसल से मुलाकात की थी।
गौरतलब हो कि अपर्णा लखनऊ से समाजवादी पार्टी की टिकट पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ी थीं लेकिन अखिलेश यादव उनके लिए प्रचार तक नहीं करने गए थे जिस वजह से हार गई थीं। फिर लोकसभा चुनाव के दौरान अपर्णा ने संभल लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी का टिकट मांगा था। मुलायम सिंह यादव ने भी उनकी सिफारिश की थी लेकिन एक-एक करके सपा की 5वीं लिस्ट जारी हो गई थी और अपर्णा को अखिलेश ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। इस बीच संभल से शफीकुर रहमान को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया गया था। बाद में अपर्णा ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा उन्हें पिछला विधानसभा का चुनाव लड़ाएगी लेकिन न उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया और न ही संगठन में कोई पद दिया गया परंतु अपर्णा ने कहीं किसी तरह की नाराजगी नहीं जताई। दिल्ली में अपर्णा की बीएल संतोष व सुनील बंसल के साथ बंद कमरे में करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। इसके बाद वह काफी प्रसन्न नजर आ रही थीं। माना जा रहा है कि भाजपा अपर्णा यादव के जरिए फिरोजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़, इटावा और बदायूं लोकसभा सीट पर यादव मतदाताओं को अपने साथ खड़ा करने की कवायद में उन्हें लोकसभा के सियासी मैदान में उतार सकती है।
इसके पहले उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा द्वारा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को प्रत्याशी बनाने के बाद अंदरखाने फूलपुर संसदीय सीट से अपर्णा यादव को उम्मीदवार बनाने के कयास लगाए जा रहे थे। यूपी की सियासत में तब उनके नाम को लेकर हो रही चर्चा को चौंकाने वाला बताया गया था। पार्टी के पदाधिकारी भी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे।
सिंह यादव की छोटी बहू और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के छोटे भाई की पत्नी अपर्णा यादव जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, एक बार फिर से चर्चा में है। कहा जा रहा है कि अपर्णा यादव ने जिस तरह से बीजेपी के लिए अपने आप को समर्पित किया है। अब संभवत: उसकी उन्हें ’कीमत’ मिल सकती है। अपर्णा को बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतार सकती है। इस बात की चर्चा तब तेज हुई जब गत दिवस उन्होंने दिल्ली में भाजपा संगठन के नेताओं से भेंट की। इसी के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि उन्हें उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने का कहा गया है। अपर्णा ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष व महासचिव सुनील बंसल से मुलाकात की थी।
गौरतलब हो कि अपर्णा लखनऊ से समाजवादी पार्टी की टिकट पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ी थीं लेकिन अखिलेश यादव उनके लिए प्रचार तक नहीं करने गए थे जिस वजह से हार गई थीं। फिर लोकसभा चुनाव के दौरान अपर्णा ने संभल लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी का टिकट मांगा था। मुलायम सिंह यादव ने भी उनकी सिफारिश की थी लेकिन एक-एक करके सपा की 5वीं लिस्ट जारी हो गई थी और अपर्णा को अखिलेश ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। इस बीच संभल से शफीकुर रहमान को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया गया था। बाद में अपर्णा ने भाजपा का दामन थाम लिया था। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा उन्हें पिछला विधानसभा का चुनाव लड़ाएगी लेकिन न उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया और न ही संगठन में कोई पद दिया गया परंतु अपर्णा ने कहीं किसी तरह की नाराजगी नहीं जताई। दिल्ली में अपर्णा की बीएल संतोष व सुनील बंसल के साथ बंद कमरे में करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। इसके बाद वह काफी प्रसन्न नजर आ रही थीं। माना जा रहा है कि भाजपा अपर्णा यादव के जरिए फिरोजाबाद, मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़, इटावा और बदायूं लोकसभा सीट पर यादव मतदाताओं को अपने साथ खड़ा करने की कवायद में उन्हें लोकसभा के सियासी मैदान में उतार सकती है।
इसके पहले उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए भाजपा द्वारा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को प्रत्याशी बनाने के बाद अंदरखाने फूलपुर संसदीय सीट से अपर्णा यादव को उम्मीदवार बनाने के कयास लगाए जा रहे थे। यूपी की सियासत में तब उनके नाम को लेकर हो रही चर्चा को चौंकाने वाला बताया गया था। पार्टी के पदाधिकारी भी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे।