पुस्तक खरीद के वेण्डर में मनमानी, नियमों पर उठे सवाल, राज भवन ने विवि से मांगा स्पष्टीकरण
आरोप है कि विवि की तरफ से ई टेंडर के नियम और शर्तों में मनमानी की गई है। शिकायतकर्ता आशुतोष पांडेय ने आरोप लगाया कि चहेते को लाभ पहुंचाने के लिए गुड ऑफिस कमेटी (अच्छी कार्यालय समिति) और जनरल फाइनेंस रूल (सामान्य वित्तीय नियम) का पालन नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार पूर्व कुलपति प्रो. निर्मला एस मौर्य के कार्यकाल में पूविवि पुस्तक खरीद के लिए 27 जुलाई को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर ई-टेंडर प्रक्रिया के तहत वेंडर फर्म का आवेदन निकाला गया था और 9 अगस्त को ई—टेंडर प्रक्रिया के टेंडर को खोला गया था। शिकायकर्ता ने बताया कि विवि नियमावली के अनुसार जो नियम विवि ने ई टेंडर परक्रिया में बताया है, उसमें किताबों पर कोई जीएसटी नहीं लगती हैं लेकिन विवि ने जबरदस्ती नियमों में मनमानी करते हुए किताबों पर (कर) जीएसटी लगाते हुए ई टेंडर निकाली जो पुस्तक विक्रेताओं को उलझाऊ और न समझ में न आने वाली टेंडर प्रक्रिया थी जो नियम शर्ते किसी चहेते फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था।
विवि की जो शर्त रखी गई थी, उसमें पिछले एक वित्तीय वर्ष में एक आर्डर 80 लाख रूपये का होना चाहिए जबकि राज्य विश्वविद्यालय के किसी भी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तक क्रय का इतना ग्रांट नहीं होता है। वहीं उनका आरोप है कि विवि द्वारा 3 करोड़ रूपये का वित्तीय वर्ष का टर्नओवर मांगा गया था जबकि जनरल फाइनेंस रूल के तहत किताबों पर कोई जीएसटी का प्रयोग नहीं होता। इस वजह से यह नियम भी समझ के परे है। विवि के 10 लाख की जमानत राशि भी रखी गई थी लेकिन इसके लिए विश्वविद्यालय को अपने बजट के बारे में बताना होता है लेकिन विश्वविद्यालय में ऐसा नहीं किया और न ही इसकी कोई जानकारी दी। इसी को लेकर वाराणसी बुक सेलर्स वेलफेयर सोसाइटी के सचिव आशुतोष पांडेय राज भवन को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की थी। शिकायत के अनुसार इस वेंडर हमें प्रक्रिया के तहत जो नियम और शर्त बनाए गए हैं जो पूरी तरीके से मनमानी है जिस पर उन्होंने विवि को पुस्तक खरीद की हेरा—फेरी में तमाम आरोप भी लगाये जिसे राज भवन ने गंभीरता से लेते हुए पूविवि को पत्र जारी करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की शिकायत को स्पष्ट करते हुए और मानक शर्तें की आख्या दें। प्रश्नगत परीक्षणोपरांत नियम अनुसार आवश्यक कार्रवाई करें और नियम शर्तों को शिकायतकर्ता को स्पष्ट तरीके से अवगत भी कराये। राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी के डा पंकज एल जानी ने कुलपति को पत्र देकर वेंडर पंजीकरण को पर डिटेल जानकारी मांगी है।
इस बाबत पूछे जाने पर प्रो. मानस पांडेय मानक पुस्तकालय अध्यक्ष वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने बताया कि राज्यपाल की तरफ से आए पत्र की जांच करायी जायेगी। वैसे इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिये। शिकायतकर्ता के आरोप की जांच करायी जायेगी।