इक फूल उसके हाथ में देखा तो डर गया....

जौनपुर। साहित्य वाचस्पति डा. श्रीपाल सिंह क्षेम की 13वीं पुण्यतिथि पर विकलांग पुनर्वास केन्द्र लाइन बाजार के परिसर में कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री सुदामा पांडेय सौरभ ने वाणी वंदना से की। इसके पश्चात् शायर अंसर जौनपुरी ने अपनी गजल- इक फूल उसके हाथ में देखा तो डर गया। जख्मे जिगर का दिल में तसव्वुर उतर गया। सुनाकर वाहवाही लूटी। संचालक ने पुनः कवयित्री सौरभ को आवाज दी तो उन्होंने- क्षितिज के पार चलें, चला चल यार मेरे चल चलके बना ले आशियाना, जहां पे गम ना रहे, गीत के माध्यम से वातावरण सरस बना दिया।

कवि बेहोश जौनपुरी ने जीवन में श्रृंगार लिये आ जाना तुम। सुमनों के उपहार लिये आ जाना तुम।। गीत से श्रृंगार रस की छटा बिखेरी। प्रतापगढ़ से मुख्य अभ्यागत के रूप में पधारे डा. रणजीत सिंह ने चुटकी भर सिंदूर सुहागिन के जीवन की शान है। कविता के माध्यम से दाम्पत्य जीवन के महत्व को रेखांकित किया। संचालक सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने अपनी कविता-दो-दो जीभ तुम्हारी कथनी-करनी में अंतर, पंक्तियां सुनाकर विषमताओं पर प्रहार किया।
डा. जर्नादन अस्थाना ने अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में दुःख को गले लगाकर था साथ-साथ कुछ कहना। भले अभावों की पीड़ा को प्रतिपल मन में सहना पंक्तियों से करूण रस का संचार किया। कार्यक्रम के आरंभ में डा. पीपी दूबे आगंतुकों का स्वागत किया। इस अवसर पर डा. कंचन मिश्र, अंशिका मिश्रा, दयाशंकर सिंह, विद्या देवी, दीपिका आदि उपस्थित रहे।

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