उ प्र शिक्षा सेवा आयोग महज छलावा : रमेश सिंह
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जौनपुर। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन के माध्यम से प्रदेश सरकार न केवल नौजवानो के रोजगार के अवसर एवं उनके शिक्षक बनने के सपनो को चकनाचूर करने पर आमादा है बल्कि कार्यरत शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यो को भी प्रबंधकों के हाथो की कठपुतली बनाने की तैयारी में है। उक्त बातें कहते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ सेवारत के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि इसी डबल इंजन की सरकार मे जब उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा के लिए न केवल अलग अलग भर्ती बोर्ड थे बल्कि टी ई टी की परीक्षा आयोजित करने के लिए अलग प्राधिकारी थे तब तो समय से,निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षाओं का आयोजन/ चयन संभव नहीं हो सका। अब सरकार एक शिक्षा सेवा आयोग से सभी भर्तीया और टी ई टी परीक्षा का आयोजन एक ही आयोग से कराने का तुगलकी फरमान जारी कर चुकी हैं।इसी प्रकार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 21 जो शिक्षकों को सेवा सुरक्षा प्रदान करती थी उसे नए विधेयक में हटा दिया गया है इतना ही नहीं उसी अधिनियम की धारा 18 में कार्यवाहक प्रधानाचार्यो की तदर्थ पदोन्नति पर प्रधानाचार्य पद का वेतनमान दिए जाने की व्यवस्था है उसे भी नए विधेयक में समाप्त कर दिया गया है।इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि शिक्षकों का भविष्य भी चौपट करने पर तुली हुई है। उ0प्र0 मा 0 शि 0संघ सेवारत सरकार के इस नए आयोग का हर संभव विरोध करते हुए मा 0शि0 सेवा चयन बोर्ड को बनाए रखने के लिए संघर्ष करेगा।आने वाले दिनों में सेवारत संगठन शिक्षको से संपर्क कर अगले निर्णायक संघर्ष की रूपरेखा तय करेगा।