बारिश के बाद निकला चटख चांद, नौनिहाल देख हुये निहाल

 जौनपुर। बुधवार की शाम मछलीशहर विकास खंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में शाम को गरज तड़क के साथ करीब तीन सप्ताह बाद तेज बारिश हुई जिससे किसानों के चेहरे मुस्कान आ गई। मौसम सुहावना हो गया। देर शाम को बादलों के बीच जब चांद निकला तो अच्छी विजुअलटी के चलते बच्चे चांद को देख रोमांचित हो उठे। यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का दृश्य है जहां देर शाम बच्चे चांद का दीदार कर रहे हैं।

आज के दौर में जब मेट्रो शहरों में मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग और तेज रोशनी और वायु प्रदूषण के चलते बच्चे चांद का दीदार कम ही कर पाते हैं क्योंकि इन सबके चलते चांद कम ही दिखता है और दिखता भी है तो बहुत धुंधला। ऐसे में छोटे कस्बों और गांवों में बच्चों को चांद दिखाई दे देता है लेकिन खाली समय में बच्चे भी मोबाइल की स्क्रीन पर जुटे रहते हैं जिस कारण प्रकृति के इस रोमांच के प्रति उदासीन मिलते हैं। चांद आदि काल से ही कवियों और आज की फिल्मों में बेशुमार चर्चा में रहता है लेकिन चांद का बाल मनोविज्ञान का कितना गहरा नाता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चाहे वह निजी विद्यालयों की पाठ्य-पुस्तकें हों या परिषदीय विद्यालयों की पाठ्य-पुस्तकें सभी में चांद का कोई न कोई चैप्टर जरुर मिल जाता है। हिन्दी की कक्षा एक कलरव में चन्दा मामा कविता, कक्षा दो के किसलय में एक कविता और एक गद्य पाठ और कक्षा तीन की पंखुडी में दो पाठ, तालाब में चांद तथा चांद का कुर्ता कक्षा चार की फुलवारी में हे जग के स्वामी, नन्ही राजकुमारी और चन्द्रमा तथा कक्षा पांच की वाटिका का प्रथम पाठ विमल इन्दु की विशाल किरणें कविता शामिल हैं। जो यह बताती है कि पाठ्यक्रम बनाने वाले चांद को कितना महत्व देते हैं। इस सम्बन्ध में विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी के प्रधानाध्यापक पद से 2001 में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक रामकेवल मिश्रा कहते हैं कि आज के ही पाठ्यक्रम में नहीं बल्कि बहुत पहले से ही चांद विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम में शामिल रहा है। सूरदास जी ने भी चांद और शिशु के जुड़ाव को - मैया, मैं तो चंद- खिलौना लैहों।जैहों लोटि धरनि पर अबहीं,तेरी गोद न ऐहौं। लिखकर अमर कर दिया है लेकिन आज की भाग दौड़ और चकाचौंध भरी जिंदगी में चांद को निहारने की फुरसत ही किसे है।अब जबकि चन्द्रयान-3 चांद के लिए रवाना हो चुका ऐसे में तो चांद की चर्चा करने पर बच्चे सवालों की झड़ी लगा देते हैं।

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