अजादारों ने आंसूओं का नज़राने पेश कर ताजियों को कर्बलाओं में किया सुपुर्द ए खाक
नगर के विभिन्न इलाकों में निर्धारित समय के अनुसार ताजिए उठाये गये। जिसके साथ मातमी अंजुमनों ने नौहा और मातम किया। नगर क्षेत्र के अधिकांश ताजिये सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में सुपुर्द ए खाक किये गये जबकि कुछ ताजिए मोहल्लों की कर्बलाओं में भी सुपुर्द ए खाक हुए। चहारसू चौराहे से उठा जुलूस शिया जामा मस्जिद होता हुआ अपने मुख्य मार्गों से गुजरकर सदर इमामबारगाह पहुंचा। इसी प्रकार इमामबाड़ा शाह अबुल हसन भंडारी, मीर सैयद अली बलुआघाट, कटघरा, मोहल्ला रिजवीं खां, पुरानी बाजार, ताड़तला, बारादुअरिया, यहियापुर, पानदरीबा के ताजिए भी सदर इमामबारगाह स्थित गंजे शहीदा में दफ्न हुए।
सिपाह मोहल्ले के ताजिये नबी साहब स्थित गंजे शहीदा में दफ्न किये गये। इसके पूर्व बलुआघाट स्थित शाही किला मस्जिद, मोहल्ला दीवान शाह, कबीर, ताड़तला की मस्जिद समेत अन्य स्थानों पर नमाजे आशूरा का आयोजन हुआ। देर शाम सदर इमामबारगाह की ईदगाह मैदान में मजलिसें शामे गरीबां हुई जिसमे शायरों ने अपने अंदाज में कर्बला के शहीदों को नज़राने अक़ीदत पेश किया।
मौलाना डॉ.सैयद अबूजर अली मुजफ्फरपुर ने मजलिस को खेताब करते हुए कर्बला में शामे गरीबा का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह हज़रत इमाम हुसैन को उनके 71 साथियों के साथ तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया। यज़ीदी फौजो ने परिवार की महिलाओं बच्चों पर जो ज़ुल्म ढाया उसे कोई नही भुला सकता है। इमाम की शहादत के बाद उनके परिवार की महिलाओं को कैद कर लिया गया और बेपर्दा कूफे की गलियों में बेकजावा ऊंटो पर बैठाकर घुमाया गया। आज हम सब उन्ही को पुरस देने यहाँ इकठ्ठा हुए है। संचालन तहसीन शाहिद ने किया।
इस मौके पर कमेटी के मिर्जा अहमद मेंहदी, मिर्जा अनवर मेंहदी, मिर्जा नफीस मेंहदी, मिर्जा हसनी मेंहदी, हैदर मेंहदी मिन्टो, एमन मिन्टो, अली मिन्टो, मिर्जा सगीर मेंहदी, सकलैन अहमद खां, मुन्ना अकेला, इब्ने हसन शहजादे, मेंहदीरज़ा एडवोकेट, शोएब जैदी, हसीन अहमद, तनवीर जाफरी, अजादार हुसैन, अंजुम सईद, शबीर हैदर, इमरान खान सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।