नागेश जैसे भारी तादात में बेरोगार फसे है शिक्षा माफियाओं के चंगुल में, इन पर भी चलना चाहिए बाबा का बुलडोजर
मड़ियाहूं थाना क्षेत्र के जयरापुर गांव के निवासी नागेश विश्वकर्मा ने जूनियर हाईस्कूल में चपरासी की नौकरी पाने की लालच में अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से स्कूल प्रबंधक को सात रूपये दिया था। प्रबंधक न तो नौकरी दे सका न ही उसका पैसा वापस किया जिसके कारण नागेश पत्नी व तीन बच्चो की कपड़े से गलकर मारने के बाद खुद फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया।
नागेश जैसे भारी संख्या में बेरोजगार नौकरी पाने की लालच में जमीन बेचकर व कर्ज लेकर शिक्षा माफियाओं को पैसा दिया है।
इस मामले पर कार्यरत माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह ने बताया कि शासन ने सन् 2010 से चपरासी तथा सन् 2017 से लिपिक पद की नियुक्ति का अधिकार स्कूल के प्रबंधको से छिन लिया है। अब सभी नियुक्तियां शासन द्वारा निर्धारित एनजीओ करेंगी। शासनादेश के बाद भी शिक्षा माफियाओं की साठगांठ से कुछ प्रबंधक नियुक्ति के नाम पर बेरोगारो को भरमाकर पैसा ले रखा है कुछ अभी ले रहे है। रमेश सिंह ने ऐसे शिक्षा माफियाओ के खिलाफ सरकार से सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग किया है।
ऐसा ही मामला हमारे गाँव रासीपुर जलालपुर के राजनाथ यादव के साथ हुआ है कुटीर महाविद्यालय के लिपिक पदमाकर दुबे ने 4 लाख 80 हजार रुपया लिए और चपरासी कि नौकरी तो छोड़िये ,पैसा वापस नही कर रहे है ,बहुत जल्द नागेश जैसी हाल राजनाथ करने वाले हैं
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