सावन के महीने में भी बगुलों का नहीं भर रहा पेट
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वैसे तो बारिश का मौसम आते ही पशु पक्षियों की चांदी हो जाती है। चारागाहों में घास उग जाने के कारण जंगली और पालतू पशुओं को भर पेट हरा चारा मिलने लगता है। दूसरी तरफ घासों के उग आने के कीड़े मकोड़े भी बढ़ते हैं।सावन के महीने में झमाझम बारिश से नदी तालाबों और खेतों में जलभराव से मछलियों के झुंड आ जाते हैं जिससे बगुलों की बल्ले-बल्ले हो जाती थी लेकिन कम बारिश के चलते मछलीशहर तहसील क्षेत्र के बामी, भटेवरा, कठार, ऊंचडीह, देवकीपुर, अमोध आदि गांवों के पास बसुही नदी में छोटे- छोटे गड्ढों में नाम मात्र का पानी है जिसमें जो हल्की धार बह रही थी वह भी कम बारिश के चलते रुक गई है। बगुलों की फौज जो तालाबों नदी और नहर के किनारे मछलियां पकड़ने के लिए घेरे रहती थी वह अब पम्पिंग सेट से सिंचाई करके रोपे जा रहे खेतों में ट्रैक्टरों की जुताई करते समय उनके आगे पीछे क्षुधा पूर्ति के लिए मंडराती नजर आती हैं यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी में शुक्रवार की सुबह का दृश्य है जहां बगुलों की फौज धान की रोपाई के लिए खेत की जुताई कर रहे ट्रैक्टर के आगे पीछे पेट भरने के लिए दौड़ रही हैं।