मानव जीवन के लिये कल्याणकारी ग्रन्थ है गीता, रामायण

 जौनपुर। मां शीतला चौकिया धाम में पुरुषोत्तम मास के दौरान चल रहे श्रीरामचरितमानस पाठ पारायण महायज्ञ में श्रीराम कथा के दूसरे दिन काशी से पधारे मानस कोविद डॉ. मदन मोहन मिश्र ने बताया कि मानव जीवन के लिए कल्याणकारी है गीता, भागवत, रामायण जैसा पवित्र ग्रंथ। इन ग्रंथों के स्मरण श्रवण के प्रभाव से मानव के जीवन में अध्यात्म बढ़ने के कारण ही धर्म, सेवा, रक्षा, समर्पण की भावना हृदय में प्रकट होती है। 

मानव जीवन में अहंकार के त्याग से ही मनुष्य का कल्याण संभव है। जब हम सब कर्म रूपी धान लगाते हैं। तब प्रशंसा का पानी बरसता है। अहंकार की घास बढ़ती है। विवेक को खुरपी से जब हम अहंकार की घास को बाहर निकालते हैं तभी सत्कर्म का धान बच पाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी काम जब हम करते हैं तो हमें पुरुषार्थ को आगे विश्वास को पीछे बनाए रहना चाहिए। सुण सद्विचार बीच में होना चाहिए। शांति रूपी सीता को पाने के लिए पुरुषार्थ रूपी अंगद आगे हो विश्वास रूपी हनुमान जी बीच में हो सुरु सद्विचार रूपी बंदर तभी भक्ति और शांति रूपी सीता प्राप्त होती है। कथा वाचक ने कहा कि सत्संग में समय देंगे तो जीवन का तनाव समाप्त होगा। बड़ों के प्रति समर्पण छोटो का संरक्षण एवं आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। जब हमारे जीवन में प्रपंच का विस्मरण होगा, भगवत स्मरण होगा तब महात्मा की शरण शुरू होगी तो निश्चय ही मरण मंगलमय होगा। श्रीराम पशुता में भी मानवता लाते हैं। 

सभी बन्दर—भालू को मानवता की शिक्षा दे देते हैं जबकि रावण मनुष्य को भी पशु बनाना चाहता है। श्रीराम सीता की रक्षा करने वाले जटायु को गोद में रखकर उद्धार कर देते हैं। रामचरितमानस में समाज के सभी वर्गों का कल्याण एवं जीवन की समस्याओं का समाधान है। इस अवसर पर शिवासरे गिरी, सुरेन्द्र गिरी, गुड्डू त्रिपाठी, मदन साहू, पूजा साहू, शिवानी साहू, अजीत गिरी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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