नमाजें मुहब्बते हुसैन से शुरू और उसी पर खत्म होती हैं:इमाम हैदर

 जौनपुर। जिले में माहे मुहर्रम को लेकर मजलिसों और मातम का सिलसिला जारी है। नगर से लेकर गांव तक सभी अजाखानों में प्रत्येक दिन मजलिसों का आयोजन किया जाता है। जिसमें ओलमाए इकराम वाकये कर्बला बयान करते हैं। मजलिस के बाद जुलूस बरामद होता है और अंजुमनें नौहा मातम करती हैं। इस तरह लोग मोहम्मद साहब को उनकी आल की शहादत का पुरसा पेश करते हैं। 

इसी क्रम में रविवार को नगर के आलमखां से चौथी मुहर्रम का कदीमी जुलूस इमामबारगाह आले हसन खां से निकाला गया जो अपने कदीम रास्तों से होता हुआ ताड़तला स्थित अलहादी प्रेस के इमामबाड़े में पहंुचा जहां शबीहे ताबूत को अलम से मिलाया गया। जुलूस में शहर की सभी अंजुमने नौहा मातम व सीनाजनी कर रही थीं। इससे पूर्व सोजखानी दानिश हुसैन व उनके हमनवा ने पढ़ी। एहतेशाम व रिशब जौनपुरी ने पेशखानी किया। कनाडा से आये मौलाना सैयद इमाम हैदर ने मजलिस को खिताब क रते हुए कहा कि हमारी नमाजे मुहब्बते हुसैन से शुरू होती है और मुहब्बते हुसैन पर ही खत्म होती हैं। उन्होंने कहा कि नमाज में एक तकबीर वाजिब और छह तकबीरें सुन्नतें हुसैन हैं। कहा कि हदीस में है कि हुजूर नमाज की कयादत कर रहे थे और जैसे ही उन्होंने अल्लाह ओ अकबर कहा पीछे से इमाम हुसैन ने भी तकबीर की सदा बलंद की। रसूल ने इमाम हुसैन की तकबीर को दोहराया और इस तरह छह बार इमाम हुसैन तकबीर कहते रहे और रसूल दोहराते रहे। इस तरह छह तकबीरों के बाद सातवीं बार तकबीर कहकर रसूल ने नमाज शुरू की इससे यह साबित है कि छह तकबीरें हुसैन की सुन्नत हैं। मजलिस के बाद शबीहे जुल्जनाह अलम और ताबूत बरामद हुआ जिसके हमराह अंजुमन जाफरिया मख्दूमशाहअढ़न नौहा मातम करती रहीं। देर रात्रि तक नगर की सभी अंजुमनों ने नौहाखानी व सीनाजनी किया। जुलूस अपने कदीम रास्तों से होता हुआ आलमखां, मख्दूमशाहअढ़न अलहादी प्रेस पहुंचा जहां तकरीर बेलाल हसनैन ने किया। जिसके बाद शबीहे ताबूत को अलम व जुलजनाह से मिलाया गया। जुलूस के संयोजक वसी हैदर खां पप्पू ने सभी का आभार प्रकट किया। इस मौके पर नन्हें खां, अंजुम खां, बन्ने खां, लाडले खां, तहसीन शाहिद, अजादार हुसैन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। संचालन शौकत अली मुन्ना अकेला ने किया। इसी क्रम में जफराबाद कस्बे के मुहल्ला नासही स्थित हसन मंजिल के अज़ाखाने में शनिवार की देर रात तीन मुहर्रम के अवसर पर मजलिस का आयोजन सैयद फैजान आब्दी के द्वारा किया गया। जिसमें मजलिस को डॉ. हसन मुज्तबा आब्दी ने खिताब किया। इसके पूर्व मर्सिया सैयद अकबर अली आब्दी एडवोकेट ने किया। बाद मजलिस जेना आब्दी ने नौहा पढ़कर माहौल को गमगीन कर दिया। अंत में आयोजक सैयद फैजान आब्दी ने लोगों का आभार ज्ञापित किया।

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