योगी जी के मंशा पर फिर रहा है पानी, भू-माफिया धड़ल्ले जमीन कब्जा कर रहें है सरकारी

 जौनपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ  अवैध निर्माण पर सख्त है और पूरे यूपी में सरकारी जमीनों पर हुए अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाकर भू- माफियाओं से सरकारी जमीनों को खाली करवाया जा रहा है परन्तु जौनपुर में योगी आदित्यनाथ के मंशा  पर पूरी तरह से फेरा जा रहा है पानी, भूमाफिया धड़ल्ले से कब्जा कर रहें हैं जमीन सरकारी।  शिकायत  के बाद भी प्रशासन भू- माफियाओं के विरुद्ध  नही कर रही है कोई कार्यवाही।


ताजा मामला  बरसठी थाना क्षेत्र के सरसरा माफी गांव का है। गांव में मौजूद लगभग 37 डिसमिल बंजर खाते की जमीन पर कुछ दबंगों द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। गांव के लोगों के शिकायत के बाद भी भू -माफियाओं के विरुद्ध प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। गांव वालों ने बताया कि भू- माफिया लेखपाल,कानूनगों व पुलिस से सांठगांठ करके बंजर खाते की जमीन पर अवैध कब्जा कर रहे हैं।लेखपाल,कानूनगों, एसडीएम से शिकायत किया गया परंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है।


भूमाफिया सरकारी हैंडपंप को भी बाउंड्री वाल के अंदर लिया घेर।
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बरसठी। सरसरा माफी गांव में भू माफिया सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा  तो कर ही रहें है  साथ में  सरकारी हैंडपंप को भी बाउंड्री वॉल के अंदर घेर लिए हैं जिससे गांव वालों को  पानी की समस्या से अब जूझना पड़ रहा है। सरकारी हैंडपंप पर कब्जा हो जाने से गांव के लोग दूर-दराज से पानी लाने को मजबूर है। बाउंड्री वाल हो जाने के बाद दबंग सार्वजनिक सरकारी हैंडपंप से किसी को पानी नहीं लेने दे रहे हैं। गांव वाले पानी की समस्या से जूझ रहे हैं और प्रशासन की कान में जूं तक नहीं रेंग रहा  है।


लेखपाल गलत रिपोर्ट लगाकर अधिकारियों को कर रहा है गुमराह
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बरसठी। सरसरा माफी गांव में  सरकारी जमीन पर हो रही अवैध कब्जा के मामले में गांव वालों ने बताया कि 
 हल्का  लेखपाल  अजय पाल उच्च अधिकारियों को गुमराह कर रहा है और गलत रिपोर्ट लगा रहा है जिससे भू माफियाओं पर कार्रवाई नहीं हो रही है। गांव वालों ने बताया कि आराजी नंबर 213 लगभग 37 डिसमिल बंजर खाते की जमीन है। उक्त बंजर खाते की जमीन में दो डिसमिल नंदलाल मौर्या पुत्र बजरंगी तथा दो डिसमिल सौरभ पुत्र दिनेश के नाम से बहुत पहले से ही खतौनी में आबादी दर्ज। बाकी खाली पड़ी जमीन को देखकर दिनेश मौर्या पुत्र दुखीराम की नियत खराब हो गई है जिसे वह कब्जा कर रहा है।  दिनेश मौर्या  वर्तमान समय में प्राथमिक विद्यालय झींगुरीया पर सरकारी अध्यापक पद पर तैनात है। जब हम लोग एसडीएम मड़ियाहूं से शिकायत करते हैं तो हल्का लेखपाल अजय पाल उच्च अधिकारियों को गुमराह करने के लिए सौरभ पुत्र दिनेश की जगह दिनेश पुत्र दुखीराम के नाम से आबादी दर्ज होने का रिपोर्ट लगा देता है जिससे उच्च अधिकारी गुमराह हो जाते हैं और दिनेश पर कोई कार्यवाही नही हो पाती है। जबकि आराजी नंबर 213 में नंदलाल एवं सौरभ के नाम के अलावा और किसी का नाम नहीं है। चंद पैसों के खातिर  हल्का लेखपाल अजय पाल दिनेश पुत्र दुखीराम  के नाम अबादी दर्ज होने का  रिपोर्ट लगा देता है। हल्का लेखपाल के पूरे खोल को  कानूनगो जगदीश सरोज बखूबी जानते हैं पर वह मौन रहते है।

मीडिया के सवालों का गोलमोल जवाब दे रहे थे हल्का लेखपाल, बातों में फस जाने पर फोन दिया काटा
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बरसठी। सरसरा माफी गांव में सरकारी जमीन पर हो रहे अवैध कब्जा के मामले में शिराज़-ए-हिन्द डॉट कॉम  की टीम ने जब हल्का लेखपाल से बात करने की कोशिश की तो पहले वह सवालों का गोलमोल जवाब दे रहें थे जब बातों में फसनें लगे तो उन्होंने फोन काट दिया। हल्का लेखपाल अजय पाल से पहला सवाल था कि बंजर खाते की जमीन पर कुछ लोंगों द्वारा अवैध कब्जा करने की सूचना है। क्या सही है। जवाब, हल्का लेखपाल ने बताया कि नंदलाल और दिनेश के नाम से आबादी दर्ज है नंदलाल चाहता है कि दिनेश वहां निर्माण ना करें। दूसरा सवाल, सरकारी अभिलेख में सौरभ और नंदलाल के नाम से आबादी दर्ज है और दोनों लोग अपने-अपने जगह पर जमीन पर काबिज है, दिनेश का नाम  तो नही दर्ज  है तो वह तीसरी जगह उसी आराजी नंबर में कैसे  कब्जा कर रहे हैं। जवाब, झल्लाहट के साथ आबादी की जमीन  में पैमाइश करने का अधिकार मेरे पास नहीं है इसलिए वहां समस्या हो रही है। सवाल, आप आबादी की चार डिसमिल जमीन को छोडकर  बची हुई बंजर खाते की सरकारी जमीन का पैमाइश तो कर ही सकते हैं जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। उसके बाद हल्का लेखपाल द्वारा फोन काट दिया गया। कानूनगो जगदीश सरोज से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो वह पूरे मामले की जांच करने की बात कर रहे थे।
दरअसल आराजी नंबर 213 में 2 लोगों का नाम दर्ज है  और दोनों लोग पहले से जमीन पर काबिज। लगभग 34 डिसमिल जमीन बंजर खाते की बची हुई है जिसे विभागीय मिलीभगत से कब्जा किया जा रहा है। पूरी बातचीत के बाद यह साफ हो गया कि गांव वालों का आरोप  पूरी तरह से सही है।

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