आ गया माहे अज़ा, आंसू बहा लो फातमा
गौरतलब है कि कर्बला में हजरत इमाम हुसैन अ.स. व उनके 71 साथियों ने इस्लामिक कैलेंडर वर्ष के पहले महीने मुहर्रम की दसवीं तारीख को शहादत देकर पूरी मानवता की रक्षा के लिए अपना संदेश दिया था। गुरुवार को नगर के बलुआघाट, सिपाह, बाजार भुआ, पोस्तीखाना, पानदरीबा, पुरानी बाजार, मुफ्तीमुहल्ला, अहमद खां मंडी, ढालगर टोला, भंडारी, कदम रसूल छोटी लाइन इमामबाड़, अहियापुर इमामबाड़ा व सदर इमामबाड़े में अजादारों ने पहुंचकर नौहा मातम कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। शाह का पंजा बाबूपुर में मुतवल्ली तहसीन शाहिद व मुन्ना अकेला की देखरेख में मजलिस मातम का का सिलसिला पूरे दिन चलता रहा।इस दौरान अजादारों ने खिचड़ी बना कर नज़्र करवाया।नौचंदी जुमेरात की वजह से हज़ारों की संख्या में लोग पहुंच रहे थे।शाम को के बलुआघाट रीठी तले इमामबाड़े में मजलिस के बाद जुलूसे अलम व ताबूत निकाला गया तो देर रात्रि मुफ्तीमुहल्ले में देर रात दहकते हुए अंगारो पर नौहा मातम कर अजादारों ने अपना पुर्सा पेश किया। ख्वाजादोस्त स्थित पोस्तीखाने के मीर सखावत अली इमामबाड़े में पहली मुहर्रम से ही मजलिसों का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें मौलाना ने दास्ताने कर्बला सुनाकर माहौल को गमगीन कर दिया। अंजुमन मजलूमिया ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। बलुआघाट के मीर सैयद अली इमामबाड़े में भी मजलिस व मातम का सिलसिला बुधवार की रात से ही श्ुारू हो गया।हर तरफ बस या हुसैन या हुसैन की ही सदा सुनाई पढ़ रही थी।