क्या अब्दुल केवल दरी ही बिछायेगा
समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने बुधवार को अपने संगठन का गठन कर दिया है। नये संगठन में सपा के बरिष्ठ नेता व जिला महासचिव हिसामुद्दीन को हटाकर उनके स्थान पर अखण्ड प्रताप यादव यह जिम्मेदारी सौपी गयी है। उपाध्यक्ष पद पूर्व सभासद इरशाद मंसूरी को दिया गया तथा अली मंजर डेजी और इजहार खां को सदस्य बनाया गया है। 51 सदस्यीय कार्यकारिणी में मात्र तीन मुस्लिम नेताओं को जिम्मेदारी मिलने से अल्पसंख्यक समुदाय में रोष व्याप्त हो गया है। शिराज ए हिन्द डॉट काम ने सपा के कई मुस्लिम नेताओ कार्यकर्ताओं से इस मामले पर बातचीत किया तो सभी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा कि समाजवादी पार्टी हम लोगो की दिलो में बसती है हम लोग आंख बंद करके वोट और सर्पोट करते है लेकिन बीते कुछ वर्षो से हम लोगो की उपेक्षा की जा रही है।
एक सपा का कर्मठ कार्यकर्ता ने कहा कि पिछले 30 वर्षो से मै और मेरा पूरा खानदान तन मन और धन से पार्टी की सेवा कर रहे है लेकिन कल बकरीद के ठीक एक दिन पहले ही हमारी कुर्बानी पार्टी के नेताओ ने कर दी। उन्होने साफ कहा कि पिछले एक दो कार्यकारिणी को छोड़कर हमेशा महासचिव पद अल्पसंख्यक के खाते में जाता था लेकिन इस बार सबसे पहले बरिष्ठ नेता हिसामुद्दीन को किनारे लगा दिया। पिछले कार्यकाल में मुस्लिम समुदाय के पांच लोगो में हिसामुद्दीन को महासचिव ,शकील अहमद को जिला उपाध्यक्ष, सहनवाज शेखू को सचिव, अजमत खान और अली मंजर डेजी को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया था। लेकिन इस बार पांच के स्थान पर तीन लोगो जिम्मेदारी दी गयी है जिससे साफ लग रहा है कि अब पार्टी को मुस्लिम समुदाय से दूरी बनाना चाहती है।
यदि पार्टी को आवश्कता होती तो दो या तीन सचिव पद व कई और सदस्य बनाकर पार्टी को और मजबूत बनाने का काम करती ।