गांवों में पक गए आम और जामुन,कटहल और बड़हल को बारिश का इंतजार
पके बेल का मजा ग्रामीण महीनों से ले रहे हैं अब इनकी संख्या पेड़ों में गिनती की बची है।आम के बागों में पके लाल और पीले फलों पर बच्चों की पत्थरबाजी का अभ्यास जारी है।पके आम को खाने से दो गुना ज्यादा खुशी पेड़ से गिरे पके आम को सबसे तेज दौड़कर अपनी मुट्ठी में लेने में और पके आम पर पत्थर से निशाना लगाकर तोड़ने में चार गुना ज्यादा खुशी बच्चों को मिल रही है । विद्यालयों में चल रहे ग्रीष्मकालीन अवकाश को शासन की ओर से 15 जून से 26 जून तक बढ़ाये जाने और रविवार को यह अवकाश 2 जुलाई तक बढ़ा दिये जाने पर बढ़े अवकाश का आनन्द बच्चे इन्हीं बगीचों में ले रहे हैं।अवकाश के कारण बच्चों की फौज आम और जामुन के बगीचों में गश्त कर रही है।आम के साथ- साथ जामुन के फल भी हरे रंग से काली रंग की रंगत पकड़ रही है अच्छी बरसात हो जाती तो इसके पकने की गति और तीव्र हो जाती। ग्रामीण इलाकों के बच्चे पके आम और जामुन का नाश्ता कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों से लोग पके आम और जामुन स्थानीय बाजारों में बेचने के लिए भी ले जा रहे हैं।डाल के पके आमों का स्वाद रसायनों का प्रयोग करके पकाये गये आमों से बेहतर होने के साथ साथ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं होता है।