मनरेगा मजदूरों के हक पर डांका डाल रहे प्रधानपति

 जौनपुर। उत्तर प्रदेश सरकार ने अमृत सरोवर के हर ग्रामसभाओं में इस उद्देश्य से बनवाने की योजना रखी कि भूगर्भ जलस्तर में कमी न हो और ग्रामसभा के मजदूरों को उसी गांव में रोजगार भी दिया जा सके परंतु विकास खण्ड खुटहन के नगवा गांव के प्रधानपति रामकुमार उपाध्याय और मनरेगा मेट मंजू के पति गणेश यादव सरकार के इस मंशा पर पानी फेर रहे हैं। मजदूरी मनरेगा मेट को दिया जाता है लेकिन काम पति कर रहे हैं। जिस प्रतिनिधि उषा उपाध्याय को जनता ने चुना है तो काम उन्हीं की देख—रेख में होना चाहिये, न कि उनके पति के लेकिन मंशा के विपरीत नगवा गांव में सरकार द्वारा मनरेगा के तहत अमृत सरोवर प्रस्तावित है। उस पर ग्राम प्रधान द्वारा जेसीबी मशीन से खुलेआम काम करवाया जा रहा है। मनरेगा मजदूरों से काम न करवाकर उनके हक पर डाका डाला जा रहा है। मशीन से काम कराने पर स्टीमेट का 5—10 प्रतिशत ही खर्च होता है। बाकी 90—95 प्रतिशत अपने लोगों के खाते में मस्टर रोल बनवाकर मजदूरी ले लिया जाता है। यहां खुलेआम सरकार का धन संबंधित द्वारा लूटपाट किया जा रहा है। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि ब्लॉक पर बीडीओ से लेकर जितने भी संबंधित अधिकारी कर्मचारी हैं, सभी लोग इस लूटपाट में कमीशन के माध्यम से शामिल हैं। जब एक ही उल्लू काफी है बर्बाद गुलिस्ता करने को, यहां हर डाल पर उल्लू बैठा है अंजाम गुलिस्ता क्या होगा? कुछ मनरेगा मजदूरों का तो यह भी आरोप है कि पिछले कार्यकाल में हमको बराबर काम मिलता था लेकिन इस कार्यकाल में यह कहकर काम नहीं दिया जाता कि तुमने हमको नहीं विपक्षी को मतदान किया है। अगर ऐसा हो रहा है तो पदभार लेते समय जो शपथ लिया जाता है, उसका भी उल्लंघन हो रहा है।

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