मेडिकल कालेज में पढाई और दवाई का कार्य अच्छे ढंग से शुरू : डॉ जाफरी
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जौनपुर। उमानाथ सिंह स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय में रोगियों इलाज के साथ शैक्षणिक एवम शोध कार्य शुरू हो गया है।सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ ए ए जाफरी ने बताया कि उमानाथ सिंह स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय जौनपुर में शैक्षणिक एवं नैदानिक कार्य अच्छे ढंग से शुरू हो गया है। इस चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस के 2 बैच सुचारु रूप से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
अस्पताल परिसर में भी ओपीडी सेवाएं सभी विभागों में चालू हो गई है। इंडोर सेवाएं भी जल्द ही चालू कर दी जाएंगी। मेडिसिन, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, गाइनेकोलॉजी एवं आब्सटेट्रिक्स, पीडियाट्रिक, डर्मेटोलॉजी, साइकैट्री, आप्थाल्मालॉजी, ई0 एन0 टी0 एवं डेंटल विभाग ओपीडी पूर्ण रूप से चालू हो गए हैं, और चिकित्सालय में ओपीडी विभाग में लगभग 300 रोगी प्रतिदिन उपचारित किए जा रहे हैं। अभी जांचों में भी कई सारी जांचें मलेरिया, डेंगू, एचआईवी एचबीएसएजी, एचसीवी, शुगर व ब्लड ग्रुप आदि जांचें कार्ड टेस्ट के द्वारा की जा रही है। ओपीडी में आवश्यकता की सभी दवाएं भी वितरित की जा रही है।
उमानाथ सिंह स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय जौनपुर में प्रधानाचार्य प्रोफेसर शिव कुमार के निर्देशन में एक शैक्षणिक माहौल भी पैदा किया जा रहा है, जिसके तहत विभिन्न प्रकार के शोध कार्य एवं अंडर ग्रेजुएट टीचिंग का उचित माहौल बन चुका है। शोध कार्य से संबंधित भी उचित माहौल मौजूद है। इस संबंध में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, बाल रोग विभाग, पैथोलॉजी विभाग एवं सर्जरी विभाग में हाल ही में इंटरनेशनल रिसर्च पेपर का प्रकाशन किया गया है।
सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ ए ए जाफरी, संकाय सदस्य डॉ राजेश कुमार एवं डॉ नैंसी पारुल ने संयुक्त रूप से एक इंटरनेशनल रिसर्च पेपर का प्रकाशन किया है जिसका शीर्षक
"एनालिसिस आफ सर्जिकल डिजीज बर्डन एंड इट्स इंपैक्ट ऑन ओपीडी सर्विसेज इन अ टर्शियरी लेबल हॉस्पिटल ऑफ ईस्टर्न यूपी" था। इस शोध पत्र में ओपीडी में शल्य चिकित्सा विभाग से संबंधित रोगियों की संख्या एवं उनके कारण शल्यक्रिया विभाग में रोगियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर क्या असर पड़ता है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है।
इसी क्रम में स्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रिचा राठौरिया या एवं बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर एकांश राठौरिया ने संयुक्त रूप से एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक "एसेसमेंट आफ स्ट्रेस लेवल ऑफ पेरेंट्स ऑफ नियोनेट्स एडमिटेड इन न्यू नेटल आईसीयू" था। इसी प्रकार पैथोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ दिव्या के शोध पत्र प्रकाशित होने का शीर्षक "एसेसमेंट आफ पेन एंड अंकज़ाईयटी एसोसिएटेड विद बोन मैरो एस्पिरेशन एंड बायोप्सी" तथा "मिंजर इंडेक्स ऐज़ अ टूल फ़ॉर डिफरेंशियल डायग्नोसिस ऑफ़ आईरन डिफिशिएंसी एनीमिया एंड बीटा थैलेसीमिया ट्रेट" था।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं विभागाध्यक्ष सर्जरी प्रोफेसर डॉ ए ए जाफ़री ने इस सम्बंध में बताया कि इन प्रकाशित शोध पत्रों के अतिरिक्त विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं संकाय सदस्यों द्वारा कई शोध पत्र प्रकाशन के लिए विभिन्न इंटरनेशनल जर्नल में लंबित हैं।उन्होने कहा कि आने वाले समय में उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय जौनपुर शोध के क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान ग्रहण करेगा।
"एनालिसिस आफ सर्जिकल डिजीज बर्डन एंड इट्स इंपैक्ट ऑन ओपीडी सर्विसेज इन अ टर्शियरी लेबल हॉस्पिटल ऑफ ईस्टर्न यूपी" था। इस शोध पत्र में ओपीडी में शल्य चिकित्सा विभाग से संबंधित रोगियों की संख्या एवं उनके कारण शल्यक्रिया विभाग में रोगियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर क्या असर पड़ता है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है।
इसी क्रम में स्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रिचा राठौरिया या एवं बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर एकांश राठौरिया ने संयुक्त रूप से एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक "एसेसमेंट आफ स्ट्रेस लेवल ऑफ पेरेंट्स ऑफ नियोनेट्स एडमिटेड इन न्यू नेटल आईसीयू" था। इसी प्रकार पैथोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ दिव्या के शोध पत्र प्रकाशित होने का शीर्षक "एसेसमेंट आफ पेन एंड अंकज़ाईयटी एसोसिएटेड विद बोन मैरो एस्पिरेशन एंड बायोप्सी" तथा "मिंजर इंडेक्स ऐज़ अ टूल फ़ॉर डिफरेंशियल डायग्नोसिस ऑफ़ आईरन डिफिशिएंसी एनीमिया एंड बीटा थैलेसीमिया ट्रेट" था।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं विभागाध्यक्ष सर्जरी प्रोफेसर डॉ ए ए जाफ़री ने इस सम्बंध में बताया कि इन प्रकाशित शोध पत्रों के अतिरिक्त विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं संकाय सदस्यों द्वारा कई शोध पत्र प्रकाशन के लिए विभिन्न इंटरनेशनल जर्नल में लंबित हैं।उन्होने कहा कि आने वाले समय में उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय जौनपुर शोध के क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान ग्रहण करेगा।