मड़ियाहूं पुलिस व साइबर सेल की संयुक्त टीम ने 9 शातिर साइबर बदमाशों को किया गिरफ्तार
https://www.shirazehind.com/2023/05/9.html
जौनपुर। पुलिस अधीक्षक डा0 अजय पाल शर्मा द्वारा साइबर अपराध एवं अपराधियों के सम्बन्ध में चलाये जा रहे विशेष अभियान के क्रम में थाना मड़ियाहूं व साइबर सेल की संयुक्त टीम ने 9 शातिर साइबर बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया। पत्रकारों से वार्ता करते हुये बताया गया कि मड़ियाहूँ अन्तर्गत एक शिकायतकर्ता से साइबर ठगों द्वारा फोन करके खाते की निजी जानकारी प्राप्त कर 5 बार में 99020 रुपया खाते से आनलाइन ठगी कर ट्रांसफर कर लिया गया था जिसमें थाने में सुंसगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया। घटना के अनावरण हेतु पुलिस अधीक्षक द्वारा दो टीमों को लगाया गया जिसके क्रम में 16 मई को साइबर सेल के तकनीकी सहयोग से अभियुक्तों की पहचान की गयी जिनका लोकेशन जनपद अलीगढ़ में पाया गया। इस पर पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार मड़ियाहूं थाना एवं साइबर सेल की संयुक्त टीम को अलीगढ़ रवाना किया गया। कार्यवाही करते हुए 17 मई को टीमों ने संयुक्त रुप से कार्यवाही करते हुए 9 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के उपरान्त धारा 420 भादंवि व 66डी आईटी एक्ट में प्राप्त अभिलेखों के आधार पर धारा 467, 468, 471, 34, 120बी भादंवि की बढोत्तरी की गयी। गिरफ्तार बदमाशों में महेश बाबू पुत्र राम सिंह निवासी धौरी थाना जफराबाद जिला जौनपुर, अंशुल गौतम पुत्र श्याम सिंह निवासी खेडिया रफीमतपुर थाना अतरौली जिला अलीगढ़, विपिन कुमार पुत्र देवेन्द्र कुमार निवासी धौरी थाना अकराबाद जिला अलीगढ़, आशुतोष आनन्द उर्फ सोनू पुत्र अतर सिंह निवासी धौरी थाना अकराबाद, जिला अलीगढ़, नितिन कुमार पुत्र साहब सिंह निवासी चौधेरा थाना छतारी जिला बुलन्दशहर, अंकित पुत्र गेंदा लाल निवासी चौधेरा थाना छतारी जिला बुलन्दशहर, महेश पुत्र सोम सिंह निवासी पिलखुनी थाना अतरौली जिला अलीगढ़, मृदुल पुत्र हरपाल सिंह निवासी उमरारा थाना डिबई जिला बुलन्दशहर एवं कपिल पुत्र विजयपाल निवासी चौधेरा थाना छतारी जिला बुलन्दशहर हैं।उपरोक्त के कब्जे से 33 पास बुक, 12 चेक बुक, 9 वोटर कार्ड, 7 आधार कार्ड, 4 पैन कार्ड, 3 श्रम कार्ड, 8 एटीएम कार्ड के अलावा 12600 नकदी बरामद करते हुये सम्बन्धित के खातों में जमा 64284 रूपया होल्ड कराया गया। गिरफ्तारी व बरामदगी करने वाली पुलिस टीम में निरीक्षक ओम नरायण सिंह प्रभारी निरीक्षक मड़ियाहूं, उपनिरीक्षक सन्त राम यादव, उपनिरीक्षक शिवभंजन प्रसाद, हे.का. रामबली यादव, हे.का. संजय सिंह, हे.का. अखिलेश यादव, का. पवन यादव, का. संदीप यादव, म.आ. अंकिता के अलावा साइबर एक्सपर्ट मु.आ. ओम प्रकाश जायसवाल, का. संग्राम यादव, का. सत्यम कुमार साइबर सेल शामिल रहे।
001
——इनसेट——
इस दौरान साइबर विशेषज्ञ ओम प्रकाश जायसवाल ने बताया कि गिरफ्तार साइबर जालसाज मुख्यतः चार टीम बनाकर साइबर अपराध को अन्जाम देते हैं। एक टीम अलग-अलग लोगों के खाते खुलवाती है जिनका उपयोग ठगी कर पैसा उन्हीं खातों में मंगाया जाता है। इनको प्रत्येक खाता खुलवाने के लिए रूपया 9000 मिलता है जिसमें से ये अपनी आईडी पर खुलवाने वाले व्यक्ति को रूपया 4000 रुपये मिलते हैं। एक टीम द्वारा फर्जी सिम प्रदान किया जाता है जिसमें ये लोग सिम दूसरों के नाम पर एक्टीवेट करके देते थे। कई बार अगर कोई नया सिम लेने आता था तो ये बहाने से कई बार फोटो व अंगूठा लगाकर एक से अधिक सिम एक्टीवेट करके देते हैं जिसका पता सिम लेनें वाले व्यक्ति को भी नहीं होता। सिम प्राप्त कराने वाले व्यक्ति को रूपया 1000 प्रति सिम कार्ड के हिसाब से मिलता है। एक टीम विभिन्न खातों के एटीमएम कार्ड व विभिन्न सिम मुख्य टीम को देते थे जिसके बदले उन्हें खाते के लिये 9000 रुपये प्रति खाते व सिम कार्ड के लिये 1500 रुपये प्रति सिम के हिसाब से मिलता था। इस टीम द्वारा एटीएम का उपयोग कर पैसा भी विभिन्न जगहों से निकालकर कैश कर लिया जाता था। यह वह टीम है जो इस गिरोह का सरगना होता है। इस टीम द्वारा लोगों को फोन काल करके उनको झासे में लेकर खाते की डिटेल प्राप्त कर/मोबाइल से ओटीपी आदि प्राप्त कर आम लोगों के खाते से पैसा उड़ाना एवं उपरोक्त तीन टीमों द्वारा प्राप्त खातों/सिम कार्ड का प्रयोग कर फ्राड किये गये पैसों को नकदी में बदलना एवं उक्त टीमों को उनके हिस्से का पैसा नकद में प्रदान करना है।
001
——इनसेट——
इस दौरान साइबर विशेषज्ञ ओम प्रकाश जायसवाल ने बताया कि गिरफ्तार साइबर जालसाज मुख्यतः चार टीम बनाकर साइबर अपराध को अन्जाम देते हैं। एक टीम अलग-अलग लोगों के खाते खुलवाती है जिनका उपयोग ठगी कर पैसा उन्हीं खातों में मंगाया जाता है। इनको प्रत्येक खाता खुलवाने के लिए रूपया 9000 मिलता है जिसमें से ये अपनी आईडी पर खुलवाने वाले व्यक्ति को रूपया 4000 रुपये मिलते हैं। एक टीम द्वारा फर्जी सिम प्रदान किया जाता है जिसमें ये लोग सिम दूसरों के नाम पर एक्टीवेट करके देते थे। कई बार अगर कोई नया सिम लेने आता था तो ये बहाने से कई बार फोटो व अंगूठा लगाकर एक से अधिक सिम एक्टीवेट करके देते हैं जिसका पता सिम लेनें वाले व्यक्ति को भी नहीं होता। सिम प्राप्त कराने वाले व्यक्ति को रूपया 1000 प्रति सिम कार्ड के हिसाब से मिलता है। एक टीम विभिन्न खातों के एटीमएम कार्ड व विभिन्न सिम मुख्य टीम को देते थे जिसके बदले उन्हें खाते के लिये 9000 रुपये प्रति खाते व सिम कार्ड के लिये 1500 रुपये प्रति सिम के हिसाब से मिलता था। इस टीम द्वारा एटीएम का उपयोग कर पैसा भी विभिन्न जगहों से निकालकर कैश कर लिया जाता था। यह वह टीम है जो इस गिरोह का सरगना होता है। इस टीम द्वारा लोगों को फोन काल करके उनको झासे में लेकर खाते की डिटेल प्राप्त कर/मोबाइल से ओटीपी आदि प्राप्त कर आम लोगों के खाते से पैसा उड़ाना एवं उपरोक्त तीन टीमों द्वारा प्राप्त खातों/सिम कार्ड का प्रयोग कर फ्राड किये गये पैसों को नकदी में बदलना एवं उक्त टीमों को उनके हिस्से का पैसा नकद में प्रदान करना है।