पारा चढ़ने के चलते घड़े और सुराही की खरीदारी शुरू
यह मछलीशहर तहसील क्षेत्र के सुजानगंज बाजार का दृश्य है जहां खरीददार दुकानों पर पहुंचने लगे हैं। घड़े की खरीददारी कर रहे रोहित तिवारी ने बताया कि वह अलग- अलग आकार के तीन घड़े खरीदे जिनके लिए आकार के अनुसार 150 से 200 रूपए तक देने पड़े।
दुकान चलाने वाले अच्छे लाल जायसवाल की पत्नी ने बताया कि घड़ा लेने पर टोटी लगाकर देने पर घड़े की लागत बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि वह मिट्टी के बर्तन जनपद प्रयागराज और मिर्जापुर के चुनार से मंगवाते हैं और गर्मी को देखते हुए नये आर्डर भी भेजें हैं। मिट्टी से घड़े और सुराही को बनाने का कार्य काफी श्रमसाध्य है और इन्हें पकाने में ईंधन की लागत काफी बढ़ गई है जिस कारण वे इन्हें महंगे मूल्य पर पाते हैं और इन्हें रास्ते में लाने पर काफी टूट- फूट भी हो जाती है। इन सबके परिणामस्वरूप मूल्य ऊंचा रखना उनकी मजबूरी है।
दुकान पर खरीददारी करने आये विकास खंड सुजानगंज के गांव कोदई का पूरा निवासी रवि प्रकाश तिवारी ने बताया कि वह साधन सम्पन्न परिवार से हैं लेकिन वह अपने पिताजी के कहने पर घड़ा लेने आये हैं। पिताजी का कहना है कि फ्रीज का पानी सिर्फ ठंडा होता है उसमें घड़े के पानी जैसा स्वाद और सोधी खुशबू नहीं होती है। उन्होंने कहा कि पिताजी घड़े के लिए पिछले तीन दिनों से रट लगाए हुये थे। मछलीशहर तहसील क्षेत्र के मुंगराबादशाहपुर, जंघई, बंधवा बाजार, मीरगंज और मछलीशहर कस्बे में भी इस समय घड़े, सुराही और लस्सी के कुल्हड़ की दुकानें सज गई हैं।
ग्रामीण इलाकों में भी परम्परागत रूप में मटके बनाने वाले कुम्हारों ने मिट्टी के मटके बनाकर पका लिये हैं।इस सम्बन्ध में विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी के कुम्हार जोखन राम प्रजापति कहते हैं कि गांव में भी लोग मटके लेने उनके घर आ रहे हैं। गांव में जिन लोगों के पास पैसे नहीं होते हैं वे उन्हें मटके के बदले अनाज भी दे देते हैं।