आरक्षण लिस्ट जारी होते ही फिर चर्चा में आये टण्डन
राजनीतिक गणितज्ञ पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश टण्डन के नेटवर्क की दाद देना शुरू कर दिया है। लोग कह रहे सत्ता पक्ष कई नेता अपने चहेतो को चेयर बनाने के लिए इस सीट को आरक्षित कराने में पूरी ताकत लगा दिया था लेकिन दिनेश टण्डन द्वारा बिछाई सियासी बिसात से सभी हार गये। हलांकि जारी हुई इस सूची पर आपत्ति दाखिल करने समय छह अप्रैल तक नियत की गयी है। आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही यह लिस्ट फाइनल मानी जायेगी।
जौनपुर नगर पालिका अध्यक्ष पद महिलाओ के लिए आरक्षति होने से कही ख़ुशी तो कही गम है। फिलहाल यह सीट महिलाओ के लिए आरक्षति होने से एक बार फिर दिनेश टण्डन सुर्खियों में आ गए है। मतदाताओं से लेकर सभी दलों के नेताओ तक सबसे मजबूत प्रत्यासी मान रहे है। इसका मुख्य कारण है व्यापारी नेता दिनेश टण्डन पहली बार सन 2000 में बसपा के हाथी पर सवार होकर चुनाव मैदान में उतरे तो जनता ने उन्हें अपना आशीर्वाद देकर चेयर मैन चुन लिया , कुर्सी मिलने के बाद टण्डन हवा में उड़ने के बजाय जनता के बीच रहे , 2006 में बीएसपी ने अपना समर्थित प्रत्यासी बनाया उन्हें चुनाव निशान पतंग मिला, जनता पतंग को और ऊंचाइयों पर भेजने के लिए अपना बहुमूल्य वोट देकर पुनः अध्यक्ष बनाया, हालांकि इस चुनाव में उनके पतंग की डोर को काटने का भरपूर प्रयास तत्कालीन अधिकारियों ने किया था लेकिन जनता के आशीर्वाद के चलते प्रशासन का प्रयास विफल हो गया , 2012 के चुनाव में दिनेश टण्डन को चुनाव निशान लटटू मिला इस बार भी जनता टण्डन के कार्यो से प्रभावित होकर अपना भरपुर समर्थन देकर टण्डन के जीत की हैट्रिक लगवा दी।
2017 चुनाव में यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गई तो टण्डन अपनी पत्नी माया टण्डन को बीएसपी की हाथी पर सवार करके मैदान में उतारा तो जनता उन्हें भी अपना आशीर्वाद देकर चेयर मैन चुन लिया।
ओबीसी आरक्षण के लिए टाले गये चुनाव से पूर्व जारी हुई आरक्षण लिस्ट में यह सीट सामान्य हुई थी उस समय भी भाजपा के पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक पर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश टण्डन के नेटवर्क के बारे लिखा था तो कई लोग चर्चा कर रहे थे।
फिलहाल सूची जारी होते ही सभी राजनीतिक दलों की महिला नेता अपनी अपनी दावेदारी ठोकना शुरू कर दिया है। निवर्तमान अध्यक्ष माया टण्डन एक बार फिर से मैदान में उतरने जा रही है।