नई पेंशन योजना में संशोधन नही पुरानी पेंशन ही चाहिए : राजेश सिंह
पूरे देश भर में नई पेंशन योजना के विरोध और पुरानी पेंशन योजना की बहाली के सम्बंध में लाखों शिक्षकों-कर्मचारियों चल रहे विरोध प्रदर्शनों और प्रस्तावित हड़ताल से घबराई हुई है। विगत कुछ दिनों पूर्व हुए विभिन्न राज्यों में हुए आम चुनाव में शिक्षक कर्मचारी लामबंद होकर पुरानी पेंशन बहाली के पक्ष में वादा करने वाली पार्टी को मतदान भी किये जिसका परिणाम रहा कि हिमांचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी शिक्षक कर्मचारी बनवाने में सफल रहे और वहां सरकार बनते ही पुरानी पेंशन बहाल भी कर दी गयी।अभी हाल ही में महाराष्ट्र में 18 लाख शिक्षक कर्मचारी एकसाथ बेमियादी हड़ताल पर जाकर अपनी मंशा स्पष्ट कर चुके हैं। कांग्रेस शिक्षकों कर्मचारियों को अपने पक्ष में करने के लिए इसे प्रमुख मुद्दे के रूप में उठा भी रही है साथ ही कांग्रेस शासित राज्यो,छतीसगढ़,राजस्थान,हिमांचल में लागू भी कर दी है।इसके अतिरिक्त झारखंड में हेमन्त सोरेन और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भी पुरानी पेंशन लागू कर दिया है।पश्चिम बंगाल में पूर्व से ही पुरानी पेंशन व्यवस्था चल रही है।2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए नई पेंशन व्यवस्था से आच्छादित 1 करोड़ शिक्षकों कर्मचारियों तथा उनके परिवार के मतों को अपने पक्ष में करने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से इस मुद्दे को भुनाने के चक्कर मे है।इसी क्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री महोदया द्वारा संसद में नई पेंशन व्यवस्था में सुधार सम्बन्धी बयान दिया गया जो कि केवल शिक्षकों कर्मचारियों को बरगलाना भर है।अगर सरकार वास्तव में शिक्षकों कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी पेंशन व्यवस्था में सुधार करना चाहती है तो शेयर मार्केट आधारित नई पेंशन व्यवस्था को पूर्णतया समाप्त कर पुरानी प्रचलित पेंशन व्यवस्था को हू-ब-हू लागू करे ।