आइस्क्रीम का भोंपू बजते ही दौड़ पड़ती है बच्चों की फौज
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जौनपुर। जनपद के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बच्चों को इस समय आइस्क्रीम के भोंपू के बजने का इंतजार रहता है। जैसे ही बच्चों के कानों में भोंपू की आवाज पहुंचती है बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। लगभग सभी निजी और परिषदीय विद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं समाप्त हो चुकी हैं। परीक्षाओं के समाप्त होने के कारण ज्यादातर निजी विद्यालयों में बच्चों का अवकाश चल रहा है जिस कारण बच्चों की फौज इस समय घरों पर ही विराजमान रहती है। आइस्क्रीम का व्यवसाय करने वालों के लिए यह गोल्डन दौर चल रहा है। विकास खंड मछलीशहर के ऊंचडीह निवासी रमेश कहते हैं कि इस समय छुट्टी के चलते पूरे दिन हर घर में बच्चे मिल जाते हैं।वह क्षेत्र के बामी, भटेवरा, कठार,टिकरा,सहनी,अमोध, करौरा,खरूआवां, चितांव सहित दर्जनों गांवों में सप्ताह में एक चक्कर पूरा कर लेते हैं।इस समय सतहरिया, मछलीशहर, बंधवा बाजार, मुंगराबादशाहपुर और सुजानगंज से लोग माल लेकर गांवों और कस्बों में आइस्क्रीम वितरण का कार्य करते हैं। इसके लिए उन्हें बिक्री के निश्चित प्रतिशत के रूप में पारिश्रमिक मिलता है।वह सतहरिया से आइस्क्रीम बेचने के लिए उठाते हैं जो पांच,दस,बीस रूपए की दर से गांव-गांव टहल कर बेचते हैं ।
आइस्क्रीम बच्चों को बेहद पसंद होती है लेकिन इसका अधिक सेवन बच्चों के लिए हानिकारक होता है।इस सम्बन्ध में नितिन मिश्रा कहते हैं कि अभिभावकों को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों को आइसक्रीम की लत न लगने पाए। अधिक आइस्क्रीम खाने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं और कभी -कभी फूड़ प्वाइजनिंग का भी शिकार भी हो जाते हैं।